Kisan Diwas 2021: झारखंड के गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के लंगड़ा टांड़ गांव के आदिम जनजाति किसान बंधा बृजिया आज किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. इसकी मुख्य वजह वैज्ञानिक पद्धति से खेती करना एवं ऑर्गेनिक खाद को बढ़ावा देना है. किसान बंधा बृजिया पूर्व में परंपरागत तरीके से खेतीबारी करते थे, परंतु सात साल पूर्व वे कृषि विज्ञान केंद्र बिशुनपुर से जुड़कर वैज्ञानिक पद्धति व ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.
आदिम जनजाति किसान बंधा बृजिया की वार्षिक आय करीब दो लाख 13 हजार रुपये है. किसान बंधा बृजिया बताते हैं कि वे शुरुआती दौर में किसानों की लोहे की फार पजाने का काम करते थे और परंपरागत तरीके से खेती किया करते थे. जिससे वे अपने घर का खर्च भी नहीं जुटा पाते थे, परंतु कृषि विज्ञान केंद्र से सात वर्ष पूर्व जुड़े और वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती व बकरी पालन कर रहे हैं. आज इनकी इनकम दोगुनी हो गयी है.
किसान बंधा बृजिया ने बताया कि एक एकड़ में आलू व बैंगन, डेढ़ एकड़ में गेहूं, डेढ़ एकड़ में सरसों, डेढ़ एकड़ में तीसी, एक एकड़ में मटर की खेती की है. सबसे ज्यादा खर्च रसायनिक खादों में होता था, परंतु पिछले पांच वर्षों से कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद ही केचुआ खाद का उत्पादन करते हैं और वही खाद अपने खेतों में प्रयोग करता हैं. जिससे एक ओर रासायनिक खादों में लगने वाली भारी-भरकम पूंजी निवेश नहीं करनी पड़ती है और उपज भी अच्छी एवं टेस्टी होती है. इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है. इनके पास 30 बकरी भी है.
रिपोर्ट: बसंत साहू