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ईमानदारी के लिए आज भी याद किये जाते हैं ललित उरांव, बैलगाड़ी-साइकिल से प्रचार कर जीता था चुनाव, जानिए कैसा रहा राजनीति सफर

ललित उरांव सिसई विधानसभा से 1969, 1977 व 1990 में चुनाव जीत कर विधायक बने थे. 1969 में बिहार सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री व 1977 में वन मंत्री रह चुके थे.

Lalit oraon|Jharkhand Assembly Election 2024| दुर्जय पासवान| गुमला: सिसई विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके ललित उरांव (अब स्वर्गीय) गुमला जिले में बाबा के नाम से प्रचलित थे. सिसई प्रखंड के पोटरो गांव निवासी ललित उरांव सिसई विधानसभा से 1969, 1977 व 1990 में चुनाव जीत कर विधायक बने थे. 1969 में बिहार सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री व 1977 में वन मंत्री रह चुके थे. 1974 के आपातकाल में जयप्रकाश आंदोलन में भाग लेते हुए उनको गिरफ्तार किया गया था. उस समय उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था.

ललित उरांव के करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में हुई. शिक्षक से लेकर राजनीति तक के सफर में उनकी ईमानदारी व काम करने के तरीके को लोग आज भी याद करते हैं. बैलगाड़ी व साइकिल से प्रचार कर उन्होंने चुनाव जीता था. वह दो बार सांसद भी चुने गये. हमेशा खेती-बारी से जुड़े रहे. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में पैसा नहीं कमाया, लेकिन लोगों के दिलों पर राज किया. उनके नाम से ही गुमला शहर में ललित उरांव बस पड़ाव बना है.

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कार्तिक उरांव के साथ आये थे राजनीति में

ललित उरांव ने मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई सिसई मध्य विद्यालय से की थी. हाई स्कूल गुमला से मैट्रिक व रांची से इंटर पास किया. स्व उरांव राजकीय मध्य विद्यालय, बिशुनपुर के प्राचार्य रह चुके हैं. उनकी सामाजिक कार्यों में हमेशा से रुचि थी. वह 1962 में कांग्रेस के कार्तिक उरांव के साथ राजनीति में आये. 1962 में ही कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़े, पर हार गये. इसके बाद 1965 में जनसंघ पार्टी में शामिल हो गये. 1969 में जनसंघ पार्टी से पहली बार विधायक होकर बिहार में आदिवासी कल्याण मंत्री बने. 1974 के आपातकाल के दौरान जेल गये. 1977 में विधायक बनकर वन मंत्री बने. 1990 में वह तीसरी और अंतिम बार सिसई के विधायक चुने गये थे.

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