Lockdown : आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में फंसे झारखंड के 700 मजदूर, सरकार से लगायी घर वापसी की गुहार
रजरप्पा : कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर देशभर में लागू लॉकडाउन (Lockdown) के कारण झारखंड के 700 मजदूर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम (Visakhapatnam) में फंसे हुए है. इसमें कई महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. मजदूरों के समक्ष दो वक्त का भोजन भी मुश्किल हो गया है. पिछले कई दिनों से ये सभी मजदूर घर वापसी का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिल पा रही है. जिस कंपनी में ये सभी मजदूर काम कर रहे हैं, वहां के प्रबंधन द्वारा प्रति मजदूर एक सप्ताह के लिए मात्र दो किलो चावल, एक किलो आलू और 100 ग्राम दाल दी जा रही है. इससे इनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. इन मजदूरों ने राज्य सरकार से घर वापसी की गुहार लगायी है.
सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार, रजरप्पा : कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर देशभर में लागू लॉकडाउन (Lockdown) के कारण झारखंड के 700 मजदूर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम (Visakhapatnam) में फंसे हुए है. इसमें कई महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. मजदूरों के समक्ष दो वक्त का भोजन भी मुश्किल हो गया है. पिछले कई दिनों से ये सभी मजदूर घर वापसी का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिल पा रही है. जिस कंपनी में ये सभी मजदूर काम कर रहे हैं, वहां के प्रबंधन द्वारा प्रति मजदूर एक सप्ताह के लिए मात्र दो किलो चावल, एक किलो आलू और 100 ग्राम दाल दी जा रही है. इससे इनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. इन मजदूरों ने राज्य सरकार से घर वापसी की गुहार लगायी है.
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झारखंड के कई जिलों के मजदूर फंसे
झारखंड के रामगढ़, गुमला, लोहरदगा, गढ़वा, हजारीबाग, पलामू, बोकारो सहित कई जिलों से बड़ी संख्या में मजदूर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम के C/O deccan fine chemicals (india) pvt ltd. ग्राम केशवराम वेंकटनग्राम पायकरपेट में काम करने गये थे. जहां ये फिलहाल एचएफपीएल लेबर कॉलोनी में रह रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि उन्हें आस-पास के गांव वाले दूसरी जगह सामान लाने के लिए भी जाने नहीं दे रहे हैं. कई बार इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी है. अधिकारी आते हैं और सिर्फ पूछताछ कर चले जाते हैं.
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मदद नहीं मिली, तो पैदल ही लौटने पर होंगे विवश
रामगढ़ जिले के चितरपुर प्रखंड अंतर्गत सुकरीगढ़ा निवासी महेश पटेल ने प्रभात खबर से दूरभाष पर अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण पिछले 40 दिनों से वे यहां फंसे हुए हैं. उनकी कोई नहीं सुन रहा है. अगर एक-दो दिनों में सहायता नहीं मिली तो वे सभी पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ेंगे. परमेश्वर महतो और जितेंद्र महतो ने बताया कि उन्हें प्रति सप्ताह दो किलो चावल दिया जा रहा है. तीनों समय चावल खाने से तीन-चार दिनों में ही अनाज खत्म हो जा रहा है. संतोष महतो, राजेश चौधरी, लीलमोहन महतो, छठू भुइयां, सोहराय भुइयां, रमणी भुइयां, कुंदन भुइयां, अशोक सिंह, रंजन सिंह, पिंटू कुमार, गुड्डू राम, सुंदर साव, रामप्रताप, संदीप पासवान, सलोमी देवी, राधिका, अंकिता, छुड़की मुर्मू, शानी कुमारी, रीता देवी के अलावा गुमला, लोहरदगा, गढ़वा, हजारीबाग, पलामू, बोकारो सहित कई जिलों के लगभग 700 मजदूर फंसे हुए हैं.