बिशुनपुर के लोंगा गांव में जान हथेली पर रख पुल पार करते हैं के लोग, कोयल नदी के पुल का पिलर धंसा दहशत में ग्रामीण
11 साल बाद एक बार फिर पुन: पुल का पिलर धीरे-धीरे कर धंसने लगा है. जिससे कोयल नदी के उसपार लोंगा, महुआ टोली, सखुआ टोली, चीरोडिह, चंपा टोली, नवाटोली, मुंडा चातम, मिशन चतम, रोपा कोना, देवरागानी एवं भांवरगानी समेत पठारी क्षेत्र के कुछ गांव, जो पुल से होकर मुख्यालय पहुंचते हैं.
गुमला : बिशुनपुर प्रखंड से 10 किमी दूर लोंगा गांव के कोयल नदी में तीन करोड़ रुपये की लागत से बने पुल का पिलर 2011 में पहली बारिश में धंस गया था. पुल भी धंसा हुआ है. कई जगह क्षतिग्रस्त भी है. कभी भी यह पुल ध्वस्त हो सकता है. परंतु इसी पुल के ऊपर से दर्जनों गांव के लोग जान हथेली पर रख कर सफर करने को विवश हैं. यह पुल लोंगा नदी में वर्ष 2010-2011 में बना था. लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाने के कारण पहली बारिश में पुल का पिलर धंसने लगा और पुल टेढ़ा हो गया.
11 साल बाद एक बार फिर पुन: पुल का पिलर धीरे-धीरे कर धंसने लगा है. जिससे कोयल नदी के उसपार लोंगा, महुआ टोली, सखुआ टोली, चीरोडिह, चंपा टोली, नवाटोली, मुंडा चातम, मिशन चतम, रोपा कोना, देवरागानी एवं भांवरगानी समेत पठारी क्षेत्र के कुछ गांव, जो पुल से होकर मुख्यालय पहुंचते हैं.
उन्हें आज उक्त पुल से पार करने में डर का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि संबंधित गांव के पूर्व प्रमुख जय मंगल उरांव के अगुवायी में कई बार स्थानीय नेता सहित गुमला उपायुक्त को मामले से अवगत कराया जा चुका है. परंतु स्थानीय लोगों को नेता एवं अधिकारियों का सिर्फ आश्वासन प्राप्त हुआ है. बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा भी इस पुल को बनवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.
Posted By : Sameer Oraon