गुमला में विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा की तैयारी की अंतिम चरण पर है. एक ओर मूर्तिकार जहां मां सरस्वती की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर विभिन्न जगहों पर पंडाल बनाने का काम भी शुरू हो गया है.
इस वर्ष मां सरस्वती पूजनोत्सव पांच फरवरी को है. गुमला में पूजनोत्सव की खुमारी तीन दिन तक रहेगी. सरकारी, अर्द्धसरकारी एवं निजी विद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा भी मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है.
वहीं अंतिम दिन भव्य शोभायात्रा निकालकर भक्तिमय गीतों के बीच झूमते-नाचते हुए मां सरस्वती की मूर्तियों को नदियों एवं तालाबों में विसर्जन करते हैं. ऐसे जिले भर में एक हजार से भी अधिक स्थानों पर मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है. जिसमें सबसे अधिक जगहों पर पूजा होने वाली जगह गुमला प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र है. यहां लगभग 400 जगहों पर मां सरस्वती की पूजा होती है. इसके अलावा प्रत्येक प्रखंडों के प्रखंड मुख्यालय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 50 से 100 जगहों पर पूजा होती है.
पूजा करने वाले लोगों को मां सरस्वती की मूर्ति के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. स्थानीय स्तर पर ही मूर्तियां मिल जाती है. जिले के गुमला, पालकोट, सिसई, भरनो, बसिया, कामडारा, बिशुनपुर, चैनपुर आदि प्रखंडों में मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियां बनायी जा रही है.
गुमला शहर में गुमला एवं टोटो के चार मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियां बनायी जा रही है. मूर्तिकारों द्वारा शहर के श्रीबड़ा दुर्गा मंदिर, देवी मंदिर, ज्योति संघ एवं बंगाली क्लब में मूर्तियां बनायी जा रही है. जहां से लोगों को आसानी से मूर्तियां मिल जा रही है. मूर्तियां छोटी व बड़ी दो से पांच फीट तक तक बनायी जा रही है. वहीं इस वर्ष मूर्तियों की कीमत में बढ़ोत्तरी हुई है. पूर्व में मूर्तियों की कीमत 500 से तीन हजार रुपये तक थी. परंतु अब एक हजार से पांच हजार रुपये तक है.