झारखंड : गुमला के करौंदाबेड़ा में दो सितंबर को शहीद मेला, 29 साल पहले दो पुरोहित व एक ब्रदर की हुई थी हत्या
गुमला के जिला अंतर्गत पालकोट प्रखंड के करौंदाबेड़ा में दो सितंबर को शहीद मेला का आयोजन होगा. इसमें 50 हजार मिशनरीज भाग लेंगे. फादर लौरेंस, फादर जोसेफ व ब्रदर अमर की दो सितंबर को पुण्यतिथि है. इसी दिन तीनों की हत्या कर दी गयी थी. इसी के याद में हर साल शहीद मेला का आयोजन होता है.
गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला जिला अंतर्गत पालकोट प्रखंड के करौंदाबेड़ा में दो सितंबर को शहीद मेला का आयोजन होगा. इसमें 50 हजार मिशनरीज भाग लेंगे. सुबह 9.30 बजे से मेला शुरू होगा. हजारीबाग के धर्माध्यक्ष आनंद जोजो सहित 200 पुरोहित, धर्मबहनें भाग लेंगे. करौंदाबेड़ा चर्च के तीन शहीद फादर लौरेंस कुजूर, फादर जोसेफ डुंगडुंग एवं ब्रदर अमर अनुप इंदवार की पुण्यतिथि है. पुण्यतिथि को लेकर करौंदाबेड़ा में समारोह होगा.
दो सितंबर, 1994 की घटना
29 साल पहले घटी घटना को आज भी मिशनरी भुला नहीं पाये हैं. दो सितंबरए 1994 की घटना है. छोटानागपुर के इतिहास में अमिट छाप बन गयी. आज भी उस घटना को याद कर इसाई मिशनरी सिहर जाते हैं. घर-द्वार छोड़ मानव सेवा के लिए समर्पित दो पुरोहित व एक ब्रदर की दो सितंबर, 1994 को हत्या कर दी गयी थी. फादर लौरेंस कुजूर, फादर जोसेफ डुंगडुंग व ब्रदर अमर अनूप इंदवार जो करौंदाबेड़ा पल्ली में रहकर दीन-दुखियों की सेवा में लगे हुए थे, लेकिन असामाजिक तत्वों ने इनकी हत्या कर दी थी. उस घटना के 29 वर्ष गुजर गये, लेकिन आज भी सभी के दिलो-दिमाग में दो सितंबर की घटना है. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी करौंदाबेड़ा में शहीद मेला सह श्रद्धांजलि समारोह होगा. तीनों शहीदों का समाधि स्थल एक ही स्थान पर है. यह पवित्र स्थल भी माना जाता है. यहां मिशनरी पूरी श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं.
शहीदों का खून बेकार नहीं गया : फादर सीप्रियन
गुमला के विकर जनरल फादर सीप्रियन कुल्लू ने बताया कि दो सितंबर की अर्धरात्रि छोटानागपुर के इतिहास में एक बहुत बड़ी घटना घटी थी. गुमला जिला के करौंदाबेड़ा पल्ली में सेवा के लिए समिर्पत दो पुरोहित व एक ब्रदर की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी. लेकिन, उनका खून बेकार नहीं गया. उनका खून धर्म का बीज बन गया. जो धीरे-धीरे अंकुरित होते हुए एक विशाल पेड़ बन गया और इस पेड़ की छावं के नीचे गुमला धर्मप्रांत के लाखों ख्रीस्त विश्वासी जीवन यापन कर रहे हैं. करौंदाबेड़ा आज के दिन में कोई अनजान गांव नहीं है. इसकी ख्याति पूरे विश्व में है.
हड़िया-दारू बेचने पर होगी कार्रवाई : थानेदार
थानेदार अनिल लिंडा ने लोगों से नशापान से दूर रहने की अपील किये हैं. खासकर युवाओं व वैसे पुरुषों को जो हड़िया व दारू पीकर वाहन चलाते हैं. हादसे के शिकार होते हैं. दो सितंबर को करौंदाबेड़ा में शहीदों की श्रद्धांजलि के दौरान लगने वाले मेला व राष्ट्रीय उच्च पथ के अगल-बगल अवैध रूप से शराब बिक्री करने वालों को सख्त हिदायत दिया गया है. उन्होंने कहा कि उस दौरान जो भी हड़िया व शराब बिक्री करते हुए पकड़े जाते हैं, उसके खिलाफ सीधे कानूनी कार्रवाई की जायेगी.