विकास को तरस रहा है गुमला के शहीद ऑस्कर टोप्पो का गांव पकरीटोली

विकास योजनाओं के लिए शहीद का गांव तरस रहा है. शहीद की भाभी जयंती टोप्पो ने बताया कि शहीद का पूरा परिवार रांची में रहता है. गांव के कच्चे खपरैल घर में अभी शहीद का भाई, मैं और दो भतीजा रहते हैं

By Prabhat Khabar News Desk | December 19, 2023 11:51 PM
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प्रेम भगत, डुमरी

वर्ष 1999 में बारेसाढ़ में हुए उग्रवादी हमले में गुमला जिला के डुमरी प्रखंड के अकासी पकरीटोली निवासी बिहार पुलिस के हवलदार ऑस्कर टोप्पो शहीद हो गया था. शहीद का गांव होने के बावजूद लंबे अरसे से प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है यह गांव. इस गांव के सात लोग शहीद हुए हैं. एक गांव में इतने लोग शहीद होने के बावजूद गांव का विकास नहीं होना प्रशासन, जनप्रतिनिधियों की विफलता को दर्शाता है. अभी भी इस गांव को विकास के लिए किसी रहनुमा का इंतजार है. गांव तक आवागमन करने के लिए कच्ची सडक है. गांव में सड़क, बिजली, पानी, रोजगार, नाली, पीसीसी समेत अन्य विकास योजनाओं की कमी है.

विकास योजनाओं के लिए शहीद का गांव तरस रहा है. शहीद की भाभी जयंती टोप्पो ने बताया कि शहीद का पूरा परिवार रांची में रहता है. गांव के कच्चे खपरैल घर में अभी शहीद का भाई, मैं और दो भतीजा रहते हैं. घर की स्थिति ठीक नहीं है. हमलोगों के पास रोजगार के नाम पर बस खेती-बारी है. कुछ काम मिलता है, तो मजदूरी करते हैं और नहीं तो दूसरा कोई काम धाम नहीं है. घर खर्च समेत अन्य सामग्री की खरीदारी के लिए कभी-कभी धान बिक्री करते हैं. टूटे-फूटे खपरैल घर में रहते हैं. रहने के लिए एक पक्का आवास व रोजगार की जरूरत है.

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पकरीटोली गांव के आठ जवान हुए हैं शहीद: 

गांव के जुस्टीन लकड़ा, क्लेस्टिनियुस लकड़ा, अमदियुस किंडो, रोमानुस कुजूर ने बताया कि ऑस्कर टोप्पो के अलावा गांव के प्रेम लकड़ा, इलेक्सियुस टोप्पो, पीटर एक्का, थेदोर एक्का, विपिन टोप्पो, कल्याण टोप्पो, क्लेमेंट लकड़ा भी शहीद हुए हैं. सभी लोग अलग-अलग सुरक्षा विभाग में थे और अलग-अलग घटना में शहीद हुए हैं. इसमें कोई ड्यूटी करते, तो कोई ड्यूटी ज्वाइन करने जाते समय, तो कोई घर लौटते समय शहीद हुआ है. इन सभी के घर परिवार की स्थिति दयनीय है.

सभी शहीदों का परिवार खेती-बारी पर निर्भर है. किसी भी परिवार के पास रोजगार के रूप में खेती-बारी के अलावा के अलावा दूसरा कुछ काम नहीं है. गांव से इतने लोग शहीद होने के बावजूद जिला व प्रखंड प्रशासन, जनप्रतिनिधियों को इस गांव के विकास में किसी की नजर नहीं है. गांव व शहीद परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. गांव में शहीदों के यादगारी में गांव तक पक्की सड़क, सामुदायिक भवन बने, साथ ही पानी, बिजली, पीसीसी, नाली, शौचालय, रोजगार की व्यवस्था हो.

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