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3 दिसंबर को लांस नायक अलबर्ट एक्का की शहादत दिवस, जानें पाकिस्तानी सेना के बंकर को कैसे किया नष्ट और दुश्मनों को मार गिराया

Jharkhand news, Gumla news : गुमला जिला के जनजातीय बहुल जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का ने पाकिस्तान में घुसकर बंकर नष्ट किये थे और दुश्मनों को मार गिराया था. अलबर्ट एक्का के आदम्य साहस के कारण ही 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. इस युद्ध में 3 दिसंबर, 1971 को अलबर्ट एक्का शहीद हुए थे. मरणोपरांत उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 1971 के युद्ध में 15 भारतीय सैनिकों को शहीद होता देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए बंकर की तरह टॉप टावर के ऊपर चढ़ गये थे. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस नहस कर दिये. इस दौरान उसे 20 से 25 गोलियां लगी. पूरा शरीर गोलियों से छलनी था. वे टॉप टावर से नीचे गिर गये, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2020 8:00 PM

Jharkhand news, Gumla news : गुमला (दुर्जय पासवान) : गुमला जिला के जनजातीय बहुल जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का ने पाकिस्तान में घुसकर बंकर नष्ट किये थे और दुश्मनों को मार गिराया था. अलबर्ट एक्का के आदम्य साहस के कारण ही 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. इस युद्ध में 3 दिसंबर, 1971 को अलबर्ट एक्का शहीद हुए थे. मरणोपरांत उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 1971 के युद्ध में 15 भारतीय सैनिकों को शहीद होता देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए बंकर की तरह टॉप टावर के ऊपर चढ़ गये थे. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस नहस कर दिये. इस दौरान उसे 20 से 25 गोलियां लगी. पूरा शरीर गोलियों से छलनी था. वे टॉप टावर से नीचे गिर गये, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

शहीद की वीरता की कहानी

शहीद अलबर्ट एक्का की शहादत दिवस 3 दिसंबर को है. गुमला जिला के जारी जो जनजातीय बहुल गांव है. इस छोटे से गांव में वर्ष 1942 को जुलियस एक्का एवं मरियम एक्का के परिवार में अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. अलबर्ट के पिता जुलियस भी सेना में थे. वे द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना योगदान दिये थे. अलबर्ट ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सीसी पतराटोली एवं मिडिल स्कूल की पढ़ाई भीखमपुर से की. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. गांव में ही अपने पिता के साथ खेती-बारी का काम करते थे. इस दौरान अलबर्ट ने 2 वर्षों तक नौकरी की तलाश भी की, लेकिन उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली. इसके बाद वे भारतीय सेना में शामिल हुए. 20 वर्ष की उम्र में अलबर्ट ने वर्ष 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध में अपनी बुद्धि एवं बहादुरी का लोहा मनवाया था.

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वर्ष 1968 में बलमदीना एक्का से उनका विवाह हुआ. बलमदीना से शादी के बाद 1969 में एक पुत्र हुआ. जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. अलबर्ट एक्का वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिये जहां दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गये. इस युद्ध में अलबर्ट ने पाकिस्तान की सैनिकों को बुरी तरह परास्त किये थे. उनके इलाके में घुसकर उनका बंकर नष्ट कर दिये थे. आज पूरा देश उन्हें पूरे सम्मान के साथ याद करता है.

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शहीद की पत्नी ने कहा : गांव में सैनिक स्कूल खुले, अस्पताल बनें

शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का फिलहाल चैनपुर प्रखंड स्थित आवास में अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. बलमदीना ने कहा कि मेरे पति देश के लिए जान दिये, लेकिन आज भी उनके पैतृक गांव जारी का सही ढंग से विकास नहीं हुआ है. उन्होंने जारी गांव में सैनिक स्कूल खोलने की मांग की है, जिससे जारी गांव के बच्चे भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर सके. उन्होंने जारी गांव के अधूरे अस्पताल पर चिंता प्रकट की है. सरकार से गांव में अस्पताल बनाने एवं डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति करने की मांग की है. इसके अलावा जारी गांव की खराब सड़क को भी बनवाने की मांग की है, जिससे लोग बिना किसी कष्ट के आवागमन कर सके.

शहीद का समाधि स्थल उपेक्षित

देश के लिए जान देने वाले शहीद अलबर्ट एक्का का समाधि स्थल उपेक्षित है. शहीद की पत्नी बलमदीना एक्का ने जारी गांव में बनाये गये शहीद के समाधि स्थल का सौंदर्यीकरण एवं चहारदीवारी करने की मांग की है.

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15 साथियों को शहीद होता देख अलबर्ट ने अकेले पाक सैनिकों को मार गिराया था

पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति अभियान को लेकर वर्ष 1971 में भारत- पाक युद्ध हुआ था. उस समय अलबर्ट एक्का को बी-कंपनी में रखा गया था. गंगा सागर के पास भारत का मोर्चा था. वहीं, पास रेलवे स्टेशन भी था. जहां पाकिस्तान के घुसपैठी अड्डा जमाये हुए थे. वहां 165 पाकिस्तानी थे. भारत के सैनिकों ने गंगा सागर के पास 2 दिसंबर को पाक सेना पर आक्रमण किया था. युद्ध जारी रहा. 3 दिसंबर की रात 2.30 बजे भारतीय सैनिक रेलवे पार कर गये. उस समय अलबर्ट एक्का 26 वर्ष के थे. जैसे ही भारतीय सैनिक रेलवे लाइन पार किये. पाकिस्तान सेना के संतरी ने भारतीय सैनिकों को रोक लिया, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उस संतरी को गोली मारकर दुश्मन के इलाके में घुस गये. तभी पाकिस्तान के सैनिकों ने एलएमजी बंकर से भारतीय सैनिकों पर आक्रमण कर दिया.

तभी अलबर्ट एक्का ने बहादुरी का परिचय देते हुए अपनी जान की परवाह किये बिना अपना ग्रेनेड एलएमजी में डाल दिया. इससे पाक सेना का पूरा बंकर उड़ गया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने 65 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराये और 15 को कैद कर लिया. रेलवे के आउटर सिंगनल इलाके को कब्जे में लेने के बाद वापस आने के दौरान टॉप टावर मकान के ऊपर में खड़ी पाक सैनिकों ने अचानक मशीनगन से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. इसमें 15 भारतीय सैनिक शहीद हो गये. 15 भारतीय सैनिकों के शहीद होते देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए बंकर की तरह टॉप टावर के ऊपर चढ़ गये. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस नहस कर दिये. इस दौरान उसे 20 से 25 गोलियां लगी. पूरा शरीर गोलियों से छलनी था. वे टॉप टावर से नीचे गिर गये जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

Posted By : Samir Ranjan.

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