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छत्तीसगढ़ में शहीद हुए समीर उरांव के नाम बना औषधीय वाटिका, गुमला में मेगा पौधरोपण अभियान में लगे हजारों पौधे

Jharkhand News (गुमला) : 218- BN CRPF द्वारा गुमला के सिलम में मेगा पौधरोपण अभियान के तहत कमांडेंट अनिल मिंज के नेतृत्व में 500 पौधे लगाये गये. उन्होंने कहा कि शहीद समीर उरांव जिन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सल अभियान में शहीद हुए थे. उनकी याद में शहीद समीर उरांव औषधीय वाटिका स्थापित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2021 9:49 PM

Jharkhand News (गुमला) : 218- BN CRPF द्वारा रविवार को गुमला के सिलम में मेगा पौधरोपण अभियान के तहत कमांडेंट अनिल मिंज के नेतृत्व में 500 पौधे लगाये गये. उन्होंने कहा कि शहीद समीर उरांव जिन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सल अभियान के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है. उनकी याद में शहीद समीर उरांव औषधीय वाटिका स्थापित किया गया है. जिसमें औषधीय गुणों वाले पौधे जैसे आक, गुलर, पलाश, खैर, अपामार्ग, शमी, पीपल, कुश तथा दूब, अलोवेरा, लेमन ग्रास, गिलोय, पत्थर चट्टा, तुलसी, पुदीना, हर जोरी आदि पौधे लगाये गये हैं.

कमांडेंट ने बताया कि शहीद समीर उरांव गुमला जिले के घनघोर उग्रवाद प्रभावित बनालात के रहने वाले थे. 39- बटालियन सीआरपीएफ में कार्यरत समीर उरांव 29 जून, 2010 को अपनी टुकड़ी के साथ छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिला में प्रशासनिक वाहनों को रास्ते देने के लिये रोड ओपनिंग की ड्यूटी पर तैनात थे.

वापसी के क्रम में इनकी टुकड़ी पर महाराबेड़ा के पास भाकपा माओवादियों ने चारों ओर से घात लगाकर हमला कर दिया था. इस युद्ध में समीर उरांव अपनी अंतिम सांस तक माओवादियों से लड़ते रहे और मातृभूमि के चरणों में अपना प्राण न्योछावर कर दिया. इससे पूर्व जिले के सुदूरवर्ती टोंगो, चैनपुर, कुरूमगढ़, डुमरी, बांसकरचा तथा बारेसाड़ में पर्यावरण को हरा- भरा बनाने के लिए वन विभाग, गुमला के सहयोग से 4500 पौधे लगाये गये है. मौके पर वाहिनी के अन्य पदाधिकारी व जवान मौजूद थे.

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गुणकारी पौधों का ये उपयोग है

कमांडेंट ने कहा कि पीपल का पौधा प्राणदायक वायु ऑक्सीजन का सबसे बड़ा श्रोत है. प्रत्येक हर्बल पौधे से बड़ी से बड़ी बीमारी में लाभ मिलता है. सबसे ज्यादा लोग तुलसी का पौधा लगाते हैं. धार्मिक मान्यता के साथ लोग इसे लगाते हैं. लेकिन, यह बीमारियों के इलाज में भी कारगर सिद्ध होता है. इसके सेवन से पाचन शक्ति मजबूत होती है. सर्दी, जुकाम, बुखार में यह मदद करता है.

एलोवेरा पेट के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इसके सेवन से पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती. जोड़ों के दर्द में भी यह असर करता है. गिलोय से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसकी डंडी को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से पुराने से पुराने बुखार में राहत मिलती है और बुखार नहीं होता. सदाबहार के फूल पत्ते से शुगर में लाभ मिलता है. इसे उबाल कर भी पी सकते हैं.

पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग पथरी के इलाज के लिए किया जाता है. नीम की पत्तियों से शुगर, फोड़े फुंसी संबंधी बीमारियों को दूर किया जाता है. इसकी पत्तियों को उबालकर उबले हुए पानी से नहाने से इंफेक्शन नहीं होता. कोरोना काल में औषधीय गुणों वाले पौधे विशेष महत्व रखते हैं. जिनका की कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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