मानसिक रोगी ने डस्टबिन को बना लिया अपना आशियाना
डस्टबिन को ही एक मानसिक राेगी ने अपना आशियाना बना रखा है. वह नग्न अवस्था में रहता है और फेंके गये भोजन से अपनी भूख मिटाता है. खाना-पीना और सोना सब कुछ डस्टबिन में ही होता है.
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युवक कूड़ा कचरा में फेंका हुआ चावल व रोटी खाकर जिंदा है.
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चार महीने से डस्टबिन में नग्न अवस्था में रह रहा है युवक.
गुमला : डस्टबिन को ही एक मानसिक राेगी ने अपना आशियाना बना रखा है. वह नग्न अवस्था में रहता है और फेंके गये भोजन से अपनी भूख मिटाता है. खाना-पीना और सोना सब कुछ डस्टबिन में ही होता है.
मानवता को झकझोर देने वाला यह मामला गुमला शहर का है. मानसिग रोगी युवक की उम्र 30 से 32 साल के बीच है. वह चार महीने से गुमला शहर के दुंदुरिया स्थित मुख्य सड़क के किनारे रखे गये डस्टबिन को ही घर बना लिया है. डस्टबिन भी टूटा हुआ है. युवक जब डस्टबिन में सोता है, तो उसका पैर अक्सर बाहर निकल जाता है, इसलिए वह पैर को मरोड़ कर डस्टबिन में रहता है. बारिश हो या फिर तेज धूप वह डस्टबिन में ही रहता है. शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं है. नग्न अवस्था में डस्टबिन में प्लास्टिक बिछा कर सोता है.
मानसिग रोगी से मुहल्ले के लोग परेशान हैं
मानसिक रोगी के कारण आसपास के लोग भी परेशान हैं. मुहल्ले के लोगों ने बताया कि चार महीने पहले अचानक कहीं से मानसिक रोगी युवक दुंदुरिया आ गया. सड़क किनारे एक घर के बरामदे में रहने लगा. नग्न अवस्था देख कर कुछ लोगों ने कपड़ा दिया, परंतु वह कपड़ा पहनने की बजाये उसे फेंक देता. एक सप्ताह तक परेशान होने के बाद घर मालिक ने अपने घर के सामने बांस से घेराबंदी कर दी. इसके बाद से मानसिक रोगी सड़क के किनारे रखे डस्टबिन में रहने लगा. मुहल्ले के लोगों ने बताया कि इसकी सूचना पार्षद व नगर परिषद को दी गयी थी, परंतु अभी तक मानसिक रोगी को अस्पताल या फिर किसी सरकारी आश्रय केंद्र में रखने की व्यवस्था नहीं की गयी है.
डीसी से व्यवस्था करने की मांग करेंगे : जीतेश
मिशन बदलाव के संयोजक सह समाज सेवी जीतेश मिंज ने मानसिक रोगी को डस्टबिन में सोते हुए देखा. उन्होंने अपने स्तर से उसे अस्पताल लाने का प्रयास किया, परंतु युवक डस्टबिन के अंदर से निकलने को तैयार नहीं होता है. जीतेश ने बताया कि मानसिक रोगी का इलाज व सरकारी आश्रय केंद्र में रखने की व्यवस्था करने की मांग को लेकर डीसी से मिलेंगे.
अपील : मानसिक रोगियों की मदद करें
गुमला शहर में जगह-जगह मानसिक रोगी घूम रहे हैं या फिर आश्रय लिये हुए हैं. कई रोगी सड़क के किनारे जहां जगह मिलती है, वहीं सो जाते हैं. अगर घर मालिक या दुकानदार भगा देता है, तो दूसरे ठिकाने में जाकर सो जाते हैं. ऐसे लोगों की मदद करने की जरूरत है. लोगों से अपील है. अगर कहीं मानसिक रोगी दिखे, तो इसकी सूचना नगर परिषद, स्वास्थ्य विभाग या फिर किसी प्रशासनिक अधिकारी को जरूर दें, ताकि उसकी मदद हो सके.