Merry Christmas 2022: झारखंड में प्रभु यीशु के जन्मोत्सव का उल्लास, मिस्सा पूजा में उमड़े मसीही विश्वासी
झारखंड के गुमला में यीशु ख्रीस्त के जन्मोत्सव को लेकर चर्च को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. चर्च में बाहर से विद्युत सज्जा की गयी है. चर्च के अंदर भी आकर्षक सजावट की गयी है. चर्च के अंदर आकर्षक चरनी बनायी गयी है. मिस्सा पूजा के बाद ख्रीस्त विश्वासियों को बालक यीशु का चुंबन कराया गया.
Merry Christmas 2022: शांति, न्याय और प्रेम के राजकुमार यीशु ख्रीस्त के जन्मोत्सव के अवसर संत पात्रिक महागिरजा गुमला में रात्रि मिस्सा हुआ. रात्रि 10 बजे से 12 बजे तक मिस्सा पूजा में ठंड के बावजूद ख्रीस्त विश्वासियों की भीड़ रही. मुख्य अधिष्ठाता गुमला धर्मप्रांत के प्रशासक फादर लीनुस पिंगल एक्का ने विभिन्न धार्मिक विधियों के बीच मिस्सा पूजा करायी. मिस्सा पूजा के बाद ख्रीस्त विश्वासियों को बालक यीशु का चुंबन कराया गया.
पूरा विश्व मना रहा ख्रीस्त जन्मोत्सव
फादर लीनुस ने कहा कि आज सारा विश्व ख्रीस्त जन्मोत्सव मना रहा है. आज की रात हर मानव के लिए विशेष मायने रखता है क्योंकि आज की रात ईश्वर द्वारा मानव जाति से की हुई प्रतिज्ञा पूरी हुई थी. आज की रात को मानव जाति की सदियों की प्रतीक्षा का अंत हुआ था. आज की रात को ईश्वर ने अपने प्रेम के सबसे उत्तम प्रमाण बालक यीशु के रूप में हमें दिया. ईश्वर होते हुए भी उन्होंने अपनी ईश्वरीय वैभव को त्याग कर हमारा मानव स्वभाव अपनाया और बालक बनकर हमारे बीच आये और इस प्रकार हमसे अपनत्व जताया. यह सारे मानव जाति के लिए खुशी की बात है. इसलिए सारा विश्व पूरे हर्षोल्लास से ख्रीस्त का जन्मोत्सव मना रहा है.
त्रुटि के कारण पूरी मानव जाति हुई शापित
फादर लीनुस ने कहा कि मनुष्य, जिसकी सृष्टि ईश्वर को प्रेम करने, उनकी आराधना करने एवं उनके सृजन कार्य में सहयोग करने के लिए हुई थी. वह आदि माता-पिता की अवज्ञा के कारण अपनी वास्तविक प्रकृति खो बैठा और ईश्वर के सान्निध्य से दूर हो गया और इस प्रकार ईश्वरीय जीवन से वंचित हो गया. आदि माता-पिता के इस त्रुटि के कारण पूरी मानव जाति शापित हुई, परंतु ईश्वर अपने परम प्रेम कृति मानवों को इस प्रकार मंझधार में कैसे छोड़ सकते थे? इसलिए उन्होंने मुक्तिदाता की प्रतिज्ञा की, जो उन्हें इस शाप से मुक्त करेगा और उनकी खोयी हुई प्रकृति को पुन: वापस दिलायेगा और इस प्रकार पिता से उनका मेल करायेगा. ईश्वर ने इसरायलियों को मुक्तिदाता की अगवानी करने के लिए चुना और अपने सेवकों के माध्यम से अपने तरीके से उन्हें इस अवसर के लिए तैयार किया. इस दौरान उन्होंने उनमें मुक्तिदाता की आस को जीवित रखा. फिर समय आने पर उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को माता मरियम के माध्यम से इस संसार में भेजकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और इस प्रकार हम मानवों के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया.
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महान आशा का संदेश
फादर लीनुस ने कहा कि ख्रीस्त जयंती हमें महान आशा का संदेश देती है. ईश्वर की तरफ से यह एक चिन्ह है कि वे हमें कितना प्यार करते हैं और प्रभु ख्रीस्त के द्वारा अपने पुत्र-पुत्रियां बनाने के लिए आतुर हैं. जिससे हम ईश्वरीय जीवन में भाग ले सके. ख्रीस्त जयंती हमें अहसास दिलाती है कि हमारे अविश्वास एवं त्रुटियों के बावजूद ईश्वर अपनी प्रतिज्ञा से मुकरते नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा के प्रति वफादार रहते हैं. वे पापी होने से बावजूद हमें ख्रीस्त में एक नया जीवन देते हैं. जिससे हम ईश्वर की संतान बन सके. ख्रीस्त जयंती हमें शांति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती है. आदि माता-पिता के विद्रोह के कारण उपजे अज्ञान, स्वार्थ, अत्याचार, अधर्म आदि ने इस संसार में अशांति फैला दी थी. प्रभु इस अशांत दुनिया में शांति दूत बनकर आते हैं और उसे एक नया आयाम देते हैं. वे मानवों के हृदय में बसे अंधकार को दूर करते हैं और उसकी विकृत मनोस्थिति को एक नया रूप देते हैं और इस प्रकार उसे ईश्वर का मार्ग दिखाते हैं. फादर लीनुस ने कहा कि ख्रीस्त जयंती कोई बीती घटना की याद मात्र नहीं है. अगर हम इसे सिर्फ येसु ख्रीस्त के प्रथम आगमन की यादगारी के रूप में मनाते हैं तो हम ख्रीस्त जयंती के उद्देश्य से भटक जाते हैं. यह सत्य है कि प्रथम आगमन में यीशु पहले और अंतिम बार शारीरिक रूप से इस धरा पर आये. पर आज वे शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से हमारे बीच आते हैं.
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जगमग रोशनी से जगमग है चर्च
यीशु ख्रीस्त के जन्मोत्सव को लेकर चर्च को आकर्षक रूप से सजाया गया है. चर्च में बाहर से विद्युत सज्जा की गयी है. चर्च के अंदर भी आकर्षक सजावट की गयी है. चर्च के जगमग-जगमग रोशनी के बीच काफी लोग सेल्फी लेते एवं फोटो-शूट करवाते हुए दिखे. चर्च के अंदर आकर्षक चरनी बनायी गयी है. गुमला धर्मप्रांत के भीजी फादर सीप्रियन कुल्लू, संत पात्रिक महागिरिजा के पल्ली पुरोहित फादर जेरोम एक्का, फादर पीटर तिर्की, फादर कुलदीप खलखो, फादर मुनसन, फादर जीतन कुजूर, फादर जेफ्रेनियुस, फादर अगुस्टीन, फादर नवीन, फादर नीलम, फादर खुशमन, फादर अजय, फादर अरविंद, फादर पौल, फादर रंजीत, फादर रामू, फादर अमृत सहित अन्य पुरोहित एवं काफी संख्या में ख्रीस्त विश्वासी मौजूद थे.
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला