गुमला : चैनपुर प्रखंड की पीपी बामदा पंचायत में कुटवां गांव है. यह घोर नक्सल इलाका है. गांव जंगल व पहाड़ों से घिरा हुआ है. गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. पहाड़ी व पथरीली सड़कों से होकर गांव पहुंचना पड़ता है. गुमला से इस गांव की दूरी करीब 90 किमी है. इस गांव में नक्सलियों के आने-जाने के कारण ही प्रशासनिक अधिकारी गांव में नहीं जाते हैं.
इधर, जेजेएमपी के उग्रवादियों द्वारा कुटवां गांव के दो घरों में हमला करने के बाद ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं. डर इस कदर है कि ग्रामीण किसी अनजान को देख कर घर में दुबक जाते हैं या फिर देखते ही तेजी से भागने लगते हैं. कोई सवाल करने पर नहीं जानते हैं, कह कर भाग जाते हैं.
कुटवां गांव में बहुरा मुंडा व सुखनाथ लोहरा के घर पर उग्रवादियों के हमला की जानकारी कई लोगों से पूछा गया. परंतु किसी ने कोई भी जानकारी देने की हिम्मत नहीं जुटायी. काफी प्रयास के बाद बहुरा मुंडा का घर मिला. घर भी पहाड़ से सटा हुआ था. एक महिला से सादरी भाषा में बात करने के बाद उन्होंने बहुरा की मां पुसो देवी व बेटा राजेश्वर मुंडा को खोजने में पत्रकारों की मदद की.
डरे, सहमे पुसो देवी व उसका बेटा राजेश्वर मुंडा पत्रकारों के समक्ष पहुंचे और उग्रवादियों के हमले की जानकारी दी. राजेश्वर ने कहा कि वह गुमला में रह कर मजदूरी करता है. घटना के वक्त वह गुमला में था. घर पर पिता शनिचरवा मुंडा, मां पुसो देवी, पत्नी संगीता देवी व चार बच्चे थे.
जेजेएमपी के उग्रवादी मेरे भाई बहुरा को खोजते हुए पहुंचे थे. परंतु मेरा भाई घर पर नहीं मिला तो मेरे घर को उजाड़ दिया और मेरे पिता को बंदूक की नोक पर उठा कर ले गये. मेरे पिता लापता हैं. पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी दी गयी है. परंतु अभी तक मेरे पिता को पुलिस भी नहीं खोज रही है. राजेश्वर ने कहा कि जेजेएमपी के उग्रवादी मेरे भाई बहुरा के अलावा किसी सुशील को खोज रहे थे. सुशील का घर बताने के लिए ही मेरे पिता को उग्रवादी ले गये. परंतु मेरे पिता को नहीं छोड़े और उसे अपने साथ ले गये. सुशील को खोजते हुए उग्रवादी सुखनाथ लोहरा के घर गये थे और वहां सुखनाथ के माता-पिता के साथ मारपीट की है.