गुमला का ‘मिलेट मिशन’ बना हावर्ड यूनिवर्सिटी का केस स्टडी, केवल 18 महीनों में रागी की खेती फैली थी 30,000 एकड़ तक
Millet Mission Jharkhand : गुमला का मिलेट मिशन हावर्ड यूनिवर्सिटी का केस स्टडी बना है. इसमें वर्ष 2022-23 तक इस योजना के तहत किये गये कार्यों का जिक्र है.
रांची, मनोज सिंह: गुमला जिले का ‘मिलेट मिशन’ हावर्ड यूनिवर्सिटी में केस स्टडी बना है. जिले में किये गये कार्यों को ‘महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप’ के केस स्टडी के रूप में पेश किया गया है. इस फेलोशिप के रिसर्च को हावर्ड बिजनेस स्कूल में केस स्टडी बनाकर पेश किया गया. वर्ष 2022-23 तक यहां कराये गये कार्यों को केस स्टडी के रूप में पेश किया गया है. उस वक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सुशांत गौरव गुमला के उपायुक्त थे.
90 फीसदी किसान सिंचाई के लिए बारिश पर थे निर्भर
गुमला के 90 फीसदी सीमांत किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर थे. सबसे अधिक पानी की खपतवाली फसल धान की खेती करते थे. कृषि के वैज्ञानिक तरीकों से बहुत अवगत नहीं थे. वर्ष 2023 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘इंटरनेशनल रागी डे’ घोषित किया था. झारखंड का मौसम मड़ुआ (रागी) की खेती के अनुकूल था.
गुमला की तमाम बड़ी खबरें यहां पढ़ें
करीब 30 हजार एकड़ में लगायी गयी फसल
गुमला के तत्कालीन जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा बताते हैं कि उपायुक्त के निर्देश पर हमलोगों ने काम करना शुरू किया. किसानों को बताया कि मड़ुआ शुष्क भूमि के लिए उपयुक्त फसल है. जिला ने राष्ट्रीय बीज निगम से गुणवत्तायुक्त मड़ुआ का बीज लिया. केवल 18 महीनों में रागी की खेती 1300 एकड़ से बढ़कर 30,000 एकड़ तक फैल गयी. इसके बाद जिले में प्रसंस्करण इकाई लगायी गयी. इससे महिलाओं को जोड़ा गया. इन इकाइयों से हर दिन एक टन रागी तैयार होने लगा. इसमें रागी का लड्डू और स्नैक्स भी थे.
कुपोषण दूर करन का प्रयास
लड्डू का वितरण आगंबाड़ी केंद्र में किया जाने लगा. इसके वितरण से बच्चों व स्तनपान करानेवाली माताओं का कुपोषण दूर करने में मदद मिली. आंगनबाड़ियों में स्वास्थ्य जांच इकाइयां शुरू की गयीं. इससे महिलाओं के स्वास्थ्य में बदलाव दिखा.
Also Read: Aaj Ka Mausam: रांची, डाल्टेनगंज समेत कई जिलों में गिरा तापमान, जानें झारखंड का मौसम कैसा रहेगा