गुमला जिले में एक दर्जन से अधिक प्रजातियों के सांप, लेकिन 5 सबसे जहरीले
यदि सांप जहरीला न हो तो कोई बात नहीं. प्राथमिक उपचार के बाद वह ठीक हो जाता है. परंतु यदि सांप जहरीला हो तो उसका जहर पूरे शरीर में फैलने लगता है. जिससे मृत्यु तक हो सकती है. गुमला जिला में भी सांपों की कई प्रजातियां पायी जाती हैं. जिले भर में एक दर्जन से भी अधिक तरह के सांप की प्रजातियां हैं.
गुमला : बरसात का मौसम है. अभी सांपों को कहीं भी आसानी से देखा जा सकता है. बरसात के मौसम में सांपों के बिल में जब पानी भर जाता है, तो सांप अपने बिल से बाहर निकल आते हैं और खुली सड़कों, खेत-खलिहानों व दीवार के किनारों से रेंगते हुए अपने लिए सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ने लगते हैं. इसी दौरान कई लोग सांपों का शिकार हो जाते हैं. सांप को छेड़े जाने पर सांप उग्र हो जाता है और जो भी सामने आ जाये. उसे डंस लेता है.
यदि सांप जहरीला न हो तो कोई बात नहीं. प्राथमिक उपचार के बाद वह ठीक हो जाता है. परंतु यदि सांप जहरीला हो तो उसका जहर पूरे शरीर में फैलने लगता है. जिससे मृत्यु तक हो सकती है. गुमला जिला में भी सांपों की कई प्रजातियां पायी जाती हैं. जिले भर में एक दर्जन से भी अधिक तरह के सांप की प्रजातियां हैं.
वन विभाग गुमला से मिली जानकारी के अनुसार जिले भर में पांच प्रजातियों के सांप ऐसे हैं, जो जहरीला होते हैं. जिसमें कॉमन इंडियन करैत, रसल वाईपर, बैंडेड करैत, स्पैक्टेकल कोबरा व बोआ सांप है. कॉमन इंडियन करैत छोटी प्रजाति का सांप है. वहीं रसल वाईपर को ग्रीन पीट के नाम से भी जाना जाता है, जबकि स्पैक्टेकल कोबरा के फन पर चश्मा जैसी दो धारी बनी रहती है.
इन तीनों प्रकार के सांपों से ज्यादा बचने की जरूरत है. क्योंकि ये तीनों सांप ज्यादा जहरीला होते हैं. इसी प्रकार धामिन (धमना) सांप, रॉक पाईथन (अजगर) कॉमन साइंड बोआ, ढोंढ़ सांप, कॉपर ट्रिकेंड, पाईथन आदि प्रजातियों के सांप जहरीले नहीं होते हैं. बहरहाल सांप जहरीला हो अथवा नहीं, लोगों को इससे बचने की जरूरत है.