Jharkhand news: गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में एक मां ने बच्चे को जन्म देने के बाद उसे जंगल में फेंक दिया, ताकि जंगली जानवर बच्चे को नोंच खा सके. लेकिन, मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है. इस कहावत को एक पत्ता चुनने वाली महिला ने चरितार्थ की है. जंगल में बच्चे को रोता देख गिरजा टंगराटोली निवासी सहोद्री कुमारी ने बच्चे की जान बचायी. इतना ही नहीं, वह बच्चे के माता-पिता को जंगल में पुकारती रही. जब कोई सामने नहीं आया, तो उसने बच्चे को अपने घर ले आयी. लेकिन, बच्चे की स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण चाइल्ड लाइन, पालकोट की मदद से बच्चे को गुमला सदर अस्पताल के SNCU में भर्ती कराया गया है.
जंगल में ऐसे मिला नवजात
रविवार को पालकोट कॉलेज रोड स्थित जंगल में गिरजा टंगराटोली निवासी सहोद्री कुमारी सुबह नौ बजे पत्ता चुनने गयी थी. पत्ता चुनने के क्रम में NH- 143 के 150 मीटर दूर अचानक एक छोटे बच्चे की रोने की आवाज सुनायी पड़ी. आवाज सुनकर जब वह उक्त स्थल पहुंची, तो वहां एक नवजात को प्लास्टिक के सहारे फेंका पाया. उसे उठाकर वह अपने घर ले गयी. जहां बगल के युवक रोशन कंसारी और हरिशंकर कंसारी को बच्चा पाने की खबर दी. जिसके बाद दोनों युवकों द्वारा नवजात को CHC, पालकोट ले जाया गया. जहां उसकी नाभी काट कर चिकित्सकों के निर्देश पर सदर अस्पताल, गुमला ले आया. जहां उसका इलाज SNCU में डॉ संजय कुमार भगत द्वारा किया जा रहा है.
जन्म के आठ घंटे बाद बच्चे को फेंका गया
चिकित्सक डॉ संजय कुमार भगत ने बताया कि सात माह की नवजात है. प्री मेच्योर बेबी है. उसका जन्म आठ घंटे पूर्व हुआ है. नवजात बच्ची गैसपीन कर रही है. उसकी स्थिति ठीक नहीं है. हमने उपचार शुरू कर दिया है. अब सब भगवान के भरोसे है. इस संबंध में चाइल्ड लाइन के सदस्य रोशन कंसारी ने कहा कि हमें जानकारी मिलने पर हम सीधा सीएचसी, पालकोट ले गये. जहां नाभी काटने के बाद चिकित्सकों के निर्देश पर सदर अस्पताल गुमला में भरती कराया है. जहां इलाज चल रहा है. नवजात के साथ ऐसा करना काफी निंदनीय मामला है जो घोर अपराध व मानवता को शर्मशार करने का मामला है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.