Jharkhand News: गुमला में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल है मुहर्रम पर्व,मोहन पासवान हर साल बनाते हैं ताजिया
गुमला में पहली बार 1902 में मुहर्रम का जुलूस निकला था. इसके बाद हर साल मुहर्रम का जुलूस निकलता है. जुलूस में हिंदू-मुस्लिम एकता दिखती है, क्योंकि मोहन पासवान हर साल मुहर्रम का ताजिया बनाते हैं. यह ताजिया पूरे शहर में घूमाया जाता है.
Jharkhand News: जब देश गुलामी की जंजीर में जकड़ा हुआ था. तब पहली बार गुमला में मुहर्रम पर्व का जुलूस वर्ष 1902 ईस्वी को निकाला गया. इसके बाद से हर वर्ष मुहर्रम का जुलूस निकालने की परंपरा शुरू हुई जो अनवतर जारी रहा. मुहर्रम जुलूस में हिंदू-मुस्लिम एकता दिखती है. क्योंकि मोहन पासवान हर साल मुहर्रम का ताजिया बनाते हैं. यह ताजिया पूरे शहर में घूमाया जाता है. हालांकि, कोरोना महामारी को लेकर दो वर्षों से गुमला में जुलूस नहीं निकला था. लेकिन, इसबार मुस्लिम बहुल मुहल्ले में ताजिया के साथ अखाड़ा सजाया गया और जुलूस निकाला गया.
ताजिया बनाने में दिखती है भाईचारगी
शहजाद अनवर ने बताया कि जब देश गुलाम था. अंग्रेजों का शासन था. उस समय से गुमला में मुहर्रम जुलूस निकाला जा रहा है. इस जुलूस में सभी जाति व धर्म के लोग भाग लेते हैं. शुरुआती दिनों में एसडीओ आवास तक मुहर्रम का जुलूस जाता था. इसके बाद नुरूल होदा के आवास के सामने अखाड़ा सजता था और लोग कर्तब दिखाते थे. मुहर्रम में ताजिया बनाने की पुरानी परंपरा रही है. ताजिया बनाने में भाईचारगी दिखती है. हिंदू के घर में ताजिया बनता है.
40 साल से मोहन पासवान बना रहे हैं ताजिया
गुमला शहर के गांधी नगर निवासी मोहन पासवान मुहर्रम पर्व पर 40 वर्षो से ताजिया बनाते आ रहे हैं. उन्हें कई बार ताजिया बनाने के लिए पुरस्कृत भी किया गया है. इस बार भी हुसैन नगर अखाड़ा के लिए ताजिया बनाये हैं. थर्माकॉल का ताजिया बनाया गया है. मुहर्रम पर्व पर थर्माकॉल का ताजिया मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा.
ये भी बनाते हैं ताजिया
इसके अलावा मंझर खान, अहमद खान मास्टर, जमील कव्वाल, महमूद जराही द्वारा भी ताजिया बनाया जाता है. इसके अलावा स्व मोती केशरी, रघुवीर प्रसाद, पदम साबू के पिता द्वारा मुहर्रम जुलूस का स्वागत किया जाता था. मधुन खलीफा, अकबर अली खलीफा, रज्जाक खलीफा, इब्राहिम फसीही, समसुददीन उस्ताद, अलीमुददीन अंसारी, अब्बास खान, रसूल खान, बहादुर कुरैशी, इसराइल इराकी खेल में बेहतर प्रदर्शन करते थे. ताशा में सेराज अनवर, इरफान अली, स्व जयाउल हक, हसरत मलिक, बैंजो में मुस्तफा खलीफा, रहमत, बांसुरी में भोमा दादा कलाकार थे. सलीम खान, अब्दुल रसीद, खलील अशरफी, मुस्लिम खान, मो ग्यास जुलूस में प्रदर्शन करते थे. अंबवा व अरमई से सुंदर ताजिया बनाकर जुलूस में शामिल किया जाता था. इसबार गुमला जिले के सभी 12 प्रखंडों में मुहर्रम पर्व उत्साह से मनाया जा रहा है. गांवों में भव्य मेला लगेगा. अरमई, बरगीडाड़ में मेला लगेगा. गुमला में शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकालने की पूरी तैयारी कर ली गयी है.
देशभक्ति से ओत-प्रोत रहेगा जुलूस
इस बार मुहर्रम का जुलूस देशभक्ति से ओत-प्रोत रहेगा. चूंकि देश की आजादी के 75 वर्ष पूरा होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसलिए गुमला में मुहर्रम पर्व भी उसी देशभक्ति के अंदाज में मनाया जायेगा. इसे लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने अच्छी तैयारी की है. दर्जनों ताजिया अखाड़ों द्वारा बनाया गया है जो जुलूस में मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.