एल्बेंडाजोल व डीइसी की दवा जरूर खायें : डीसी

जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2025 8:37 PM

गुमला. गुमला जिले में दवा सेवन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया (हाथी पांव) उन्मूलन अभियान की शुरुआत सोमवार को हुई. अभियान की शुरुआत को लेकर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) गुमला में कार्यक्रम आयोजित किया गया. उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी व सिविल सर्जन डॉक्टर नवल कुमार ने एल्बेंडाजोल व डीइसी की गोली खाकर अभियान की शुरुआत की. उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को समाप्त करने के लिए इस दवा का सेवन जरूरी है. जब तक सभी लोग इस दवा का सेवन नहीं करेंगे, तब तक समाज से फाइलेरिया को समाप्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया से मुक्ति के लिए जिले में कुल 1673 आंगनबाड़ी केंद्रों को बूथ बनाया गया है. आज सभी बूथों में दवा खिलाने के बाद 11 से 25 फरवरी तक सहिया व आंगनबाड़ी सेविका द्वारा घर-घर घूम कर छूटे लोगों को एल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा खिलायी जायेगी. सिविल सर्जन डॉक्टर नवल कुमार ने कहा कि जिले में कुल 10 लाख, 14 हजार, 672 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया बीमारी को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, जो मच्छर के काटने से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है. यह दुनिया में दिव्यांगता पैदा करने वाली दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है, जो न केवल हाथ व पैरों, बल्कि शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करती है. इसका इलाज बहुत जरूरी है. सिविल सर्जन ने लोगों से अपील किया कि एल्बेंडाजोल व डीईसी की दवा जरूर खायें. उन्होंने बताया कि यह दवा साल से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति यह दवा नहीं खाये. इसके अलावा सभी लोगों को यह दवा खानी है. दवा को खाली पेट नहीं लेना है और सभी खुराक एक साथ खाना है. कुछ लोगों में दवा लेने के बाद मामूली प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं. लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह संकेत है कि फाइलेरिया के परजीवी आपके शरीर में मर रहे हैं. वर्ष में मात्र एक खुराक जो पूरी तरह सुरक्षित और निःशुल्क है. फाइलेरिया बीमारी से बचाव में सहायक है.

कदाचारमुक्त परीक्षा संपन्न करायें : उपायुक्त

गुमला. उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने जिले में आयोजित होने वाली मैट्रिक व इंटर की परीक्षाओं को लेकर प्रतिनियुक्त अधिकारियों के साथ सोमवार को बैठक की. इसमें सभी प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों व पेट्रोलिंग दल के मजिस्ट्रेटों ने भाग लिया. बैठक में बताया गया कि मैट्रिक की परीक्षा के लिए जिले भर में कुल 55 परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं, जिसमें कुल 13898 परीक्षार्थी भाग लेंगे, जबकि इंटर की परीक्षा के लिए जिले भर में कुल कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय के कुल 8931 परीक्षार्थी भाग लेंगे. परीक्षाओं को लेकर तैयारियों की समीक्षा में उपायुक्त ने सभी अधिकारियों को पारदर्शिता व शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षाओं का संचालन कराने का दिशा-निर्देश दिया. उपायुक्त ने कहा कि कदाचारमुक्त व पारदर्शी तरीके से परीक्षा आयोजन एवं विधि-व्यवस्था के संधारण सुनिश्चित करते हुए परीक्षा संपन्न करायें. ज्ञात हो कि परीक्षाओं को लेकर कोषागार में ब्रज गृह बनाते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना करते हुए सभी परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी की स्थापना तथा निगरानी के लिए उड़नदस्ता दल का भी गठन किया गया है. परीक्षा संचालन के लिए उपायुक्त द्वारा अपर समाहर्ता गुमला शशिंद्र कुमार बड़ाइक को जिला स्तरीय वरीय पदाधिकारी एवं गुमला, बसिया व चैनपुर अनुमंडल के अनुमंडल पदाधिकारी को अनुमंडल स्तरीय उड़नदस्ता दल के पदाधिकारी के रूप में नामित किया गया है. परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से सफल संचालन के लिए उ विकास आयुक्त दिलेश्वर महतो व पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय वीरेंद्र टोप्पो को प्रभारी बनाया गया है. इसके साथ ही सभी परीक्षा केंद्रों के 100 मीटर की परिधि में धारा 144 लगायी गयी है. उपायुक्त ने सभी परीक्षार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों तथा परीक्षा कार्य में संलग्न कर्मियों व जन सामान्य से पारदर्शितापूर्ण तरीके से परीक्षाओं के आयोजन में सहयोग करने की अपील की है.

अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे तेलंगा खड़िया : विधायक

गुमला. सिसई प्रखंड के घाघरा गांव में तेलंगा खड़िया की जयंती पर मेला लगाया गया. मुख्य अतिथि सिसई विस के झामुमो विधायक जिग्गा सुसारन होरो व विशिष्ठ अतिथि शाहदेवनाथ ठाकुर थे. कार्यक्रम का शुभारंभ शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया. मौके पर पहुंचे खोड़हा दल ने प्राचीन परंपराओं को जीवित रखते हुए मांदर की थाप पर नृत्य प्रस्तुत किया. विधायक ने कहा है कि अंग्रेजों के जुल्मों सितम व जमींदारी प्रथा के खिलाफ आंदोलन करने वाले तेलंगा खड़िया की 23 अप्रैल 1880 ई को हत्या कर दी गयी थी. तेलंगा खड़िया अंग्रेजों से लड़े थे. उनकी लड़ाई देश को आजाद व जमींदारी प्रथा से आदिवासी समाज को मुक्त करना था. मुरगू गांव में ठुइयां खड़िया व पेतो खड़िया के घर में जन्मे तेलंगा खड़िया बचपन से ही हिम्मतगर थे. पढ़ाई-लिखाई में पीछे रहने वाले तेलंगा अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ कर अपनी एक अलग पहचान बनायी. नौ फरवरी 1806 ईस्वी को तेलंगा का जन्म हुआ था. तेलंगा बचपन से ही वीर व साहसी थे. कुछ भी बोलने से पीछे नहीं रहते थे. वे बचपन से ही अंग्रेजों के जुल्मों सितम की कहानी अपने माता-पिता से सुन चुके थे. इसलिए अंग्रेजों व जमींदारों को वे देखना पसंद नहीं करते थे. यही वजह है कि वे युवा काल से ही अंग्रेजों के खिलाफ हो गये और लुक-छिप कर अंग्रेजों व जमींदारों को नुकसान पहुंचाते रहते थे. अपने आंदोलन के समय तेलंगा खड़िया ने जूरी पंचायत की स्थापना की थी. मौके पर अध्यक्ष खुदी उरांव, सचिव तुलसी खड़िया, चंद्रनाथ उरांव, कोषाध्यक्ष संतोष खड़िया, महेंद्र उरांव, नीलम जगरानी कुल्लू, दिलीप उरांव, मुन्ना खड़िया, किनू खड़िया, सोमरा खड़िया आदि मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version