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बुजुर्ग को अपनों ने ठुकराया, नागफेनी गांव ने अपनाया

जिन्हें अपनों ने ठुकराया उसे गैरों ने अपनाया. खून से बढ़ कर मानवता का रिश्ता होता है. इसे सच साबित कर दिखाया नागफेनी गांव के लोगों ने. तीन संतान के रहते हुए चार माह से शेड में रह रहे बुजुर्ग कपिंद्र साहू काे ग्रामीणों ने जीवनभर के लिए अपना लिया है. अब उन्हें वृद्धाश्रम नहीं जाना होगा. गांव के लोग उनका जीवन भर भरण पोषण करेंगे.

गुमला : जिन्हें अपनों ने ठुकराया उसे गैरों ने अपनाया. खून से बढ़ कर मानवता का रिश्ता होता है. इसे सच साबित कर दिखाया नागफेनी गांव के लोगों ने. तीन संतान के रहते हुए चार माह से शेड में रह रहे बुजुर्ग कपिंद्र साहू काे ग्रामीणों ने जीवनभर के लिए अपना लिया है. अब उन्हें वृद्धाश्रम नहीं जाना होगा. गांव के लोग उनका जीवन भर भरण पोषण करेंगे. वहीं मंगलवार को सिसई प्रखंड प्रशासन ने वृद्ध के नाम से राशन कार्ड बनवाने का वादा किया है.

साथ ही गुड़, चूड़ा और अन्य खाद्य पदार्थ कपिंद्र साहू को दिया गया. प्रभात खबर में 11 मई के अंक में तीन बच्चों के पिता भीख मांग मिटा रहे हैं भूख, शीर्षक से खबर छपने के बाद ग्रामीण हकीकत से रू-बरू हुए. इसके बाद बुजुर्ग को अपना लिया. बताते चलें कि बांसडीह गांव निवासी कपिंद्र साहू ने चार माह से नागफेनी यात्री शेड में शरण ले रखी है. उन्हें तीन संतान, दो बेटे और एक बेटी है. इसके बाद भी वे दर-दर की ठोकरें खा रहे थे.

हर इच्छा पूरी करने का किया वादा : ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक कपिंद्र नागफेनी में रहेंगे, वह लोग उनके खाने-पीने की व्यवस्था करेंगे. साथ ही वृद्ध की अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका दाह संस्कार भी गांव के लोग नागफेनी कोयल नदी तट के किनारे करेंगे. इधर सिसई प्रखंड के बीडीओ प्रवीण कुमार और सीओ सुमंत तिर्की ने कहा है कि गुमला में वृद्धाश्रम नहीं है. इसलिए जब तक कपिंद्र नागफेनी में रहेंगे, उनके खाने-पीने की व्यवस्था प्रशासन करता रहेगा.

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