Jharkhand news: गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के नगर गांव स्थित नवरत्नगढ़ (डोइसागढ़) की खुदाई जारी है. जमीन की खुदाई से मुगल साम्राज्य के समय बने नागवंशी राजा दुर्जन शाह का महल मिला है. पुरातत्व विभाग उक्त भवन को अब सुरक्षित रखने और सुंदर बनाने का काम कर रहा है.
नागवंशी राजाओं के जर्जर भवन की हो रही मरम्मतीकरण
नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित भवन जो जर्जर हो गये हैं. उनकी भी सुरखी चूना, उरद दाल एवं ईंट से मरम्मत कर पुराने स्वरूप में करने का प्रयास किया जा रहा है. रानी लुकईर और कमल साहित्य मंदिर की मरम्मत अभी की जा रही है. पुरातत्व विभाग रांची के अनुसार, नवरत्नगढ़ की खुदाई अभी जारी है. पुराने जर्जर भवन जो खंडहर हो गया है. उसकी सुरक्षा के लिए भी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. बता दें कि नवरत्नगढ़ की खुदाई बीते चार महीने से चल रही है.
रानी तालाब में दरवाजा मिला
वहीं, नगर गांव के दामोदर सिंह ने बताया कि खुदाई से रानी तालाब में एक दरवाजा मिला है. लेकिन, कुछ खुदाई कर उसे छोड़ दिया गया है. रानी तालाब के अंदर भी कुछ रहस्य मिलने की उम्मीद है. नवरत्नगढ़ के इतिहास को बचाने के लिए पुरातत्व विभाग लगा हुआ है, ताकि आने वाली पीढ़ी यहां से शिक्षा ग्रहण कर सके.
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200 साल तक नागवंशी राजा का शासन
पुरातत्व विभाग के अनुसार, मुगल सम्राट से बचने के लिए राजा दुर्जन शाह ने नवरत्नगढ़ को अपनी राजधानी बनायी. 1751 से 1589 ईस्वी के बीच नवरत्नगढ़ की स्थापना की गयी. राजा दुर्जन शाह के बाद अन्य 5 नागवंशी राजा हुए जो नवरत्नगढ़ में रहे. करीब 200 साल तक नवरत्नगढ़ में नागवंशी राजा का शासन रहा. पुरातत्व विभाग के अनुसार, जब नागवंशी राजा नगर गांव से पालकोट जाने लगे, तो नवरत्नगढ़ की देखरेख की जिम्मेवारी अपने मुलाजिम व उस समय के कर्मचारियों को दे दी. लेकिन, जब भवन खंडहर होने लगा और ध्वस्त होने लगा, तो कर्मचारी भी नवरत्नगढ़ को खाली कर इधर-उधर बस गये.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.