झारखंड के गुमला जिले में हर 200 व्यक्ति में एक मिर्गी बीमारी से ग्रसित, मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में होता इलाज

झारखंड के गुमला जिले में मिर्गी के 1500 मरीज हैं. जिले के 200 व्यक्तियों में एक व्यक्ति मिर्गी बीमारी से ग्रसित है. इनका इलाज मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में होता है. मिर्गी बीमारी से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना होता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2021 6:24 PM

National Epilepsy Day 2021, Jharkhand News ( जॉली विश्वकर्मा, गुमला) : 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस है. यानी मिर्गी बीमारी के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने का दिन. गुमला जिले में सरकारी आंकड़ा के अनुसार, जिले में 1500 मिर्गी मरीज हैं, जबकि सैकड़ों मरीज निजी क्लिनिक या वैद्य के पास इलाज कराते हैं.

गुमला सदर हॉस्पिटल के उपाधीक्षक डॉ आनंद किशोर उरांव ने कहा कि मिर्गी मानव के दिमाग से संबंधित रोग है. यह रोग केमिकल इनवाइलेंस (नर्भ में होने वाले एंजाइम के घटने व बढ़ने) से होता है. इसका इलाज सदर हॉस्पिटल में नहीं, बल्कि जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में मानसिक चिकित्सक द्वारा किया जाता है.

क्या है मिर्गी रोग

मेडिकल की सरल भाषा में मिर्गी स्नायुतंत्र में होनेवाली एक ऐसी गड़बड़ी है, जो मस्तिष्क में असामान्य विद्युत क्रियाशीलता के बार-बार विस्फोट से पैदा होती है. तकरीबन हर 200 व्यक्तियों में से एक मिर्गी का रोगी होता है. विद्युत क्रियाशीलता के असामान्य विस्फोट से रोगी पर इनमें से एक या अधिक लक्षण देखे जा सकते है. जिसमें जबरजस्त दौरे, असामान्य व्यवहार, चेतना शून्यता, दौरे के समय रोगी के गिरने से चोट लगना, जीभ का कट जाना, हाथ- पैर ऐंठ जाना, मुंह से झाग निकलना, दौरे के समय रोगी का मल- मूत्र कपड़ों में निकल जाना, दौरे के दौरान घटने वाली घटनाओं की जानकारी ना हो पाना, यादाश्त की कमी होना, शरीर के एक हिस्से या पूरे शरीर में ऐंठन के साथ कंपकपी होना है.

Also Read: गुमला के माइंस क्षेत्र की बदलेगी तस्वीर, विमरला, गुरदरी और अमतीपानी इलाके का होगा विकास

डॉ उरांव ने बताया कि मिर्गी तीन प्रकार की होती है. जिसमें पार्शियल (मस्तिष्क के एक हिस्से तक सीमित) जनरलाइज्ड (पूरे मस्तिष्क से संबंधित) है. पार्शियल मिर्गी में व्यक्ति के मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से में विद्युत असामान्यता पायी जाती है. उसके कारण व्यक्ति को दौरा पड़ता है. लक्षणों के आधार पर इसे चिकित्सा शास्त्र की भाषा में सिंपल पार्शियल सीजर (सामान्य सीमित मिरगी) कहा जाता है.

वहीं, दूसरे प्रकार जनरलाइज्ड में व्यक्ति का पूरा मस्तिष्क संबंधित होता है. ऐसी परिस्थिति का कॉम्पलेक्स पार्शियल सीजर का नाम से जाना जाता है. इस प्रकार की बीमारी में व्यक्ति के पूरे मस्तिष्क में असामान्य विद्युत तरंगों का प्रवाह पाया जाता है. मिर्गी का दौरा व्यक्ति को 10 सेकेंड से लेकर कुछ मिनटों तक की अवधि के लिए पड़ सकता है. इसके अतिरिक्त कुछ रोगियों को क्षणिक दौरे पड़ते हैं. जिन्हें अब्सेंस अटैक कहा जाता है.

स्टेटस इपिलेप्टिक्स मिरगी के सबसे गंभीर मरीज में होता है : नील कुसुम लकड़ा

जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की सोशल मनोसामाजिक कार्यकर्ता नील कुसुम लकड़ा ने कहा कि गुमला जिला में मिर्गी से ग्रसित 1500 मरीज हैं. मिर्गी की एक और अवस्था होती है. जिसे स्टेटस इपिलेप्टिक्स के नाम से जाना जाता है. इस रोग से रोगी को पूरे दिन रूक-रूक कर होश में आये बिना दौरे पड़ते रहते हैं. यह एक गंभीर रोग साबित हो सकता है. इसका उपचार प्राथमिकता के आधार पर आकस्मिक विभाग में कराया जाता है.

Also Read: PM मोदी ने गुमला के 2 एकलव्य मॉडल स्कूल भवन का किया ऑनलाइन शिलान्यास, बोले- जनजातीय समुदाय का है अहम योगदान

उन्होंने बताया कि मिर्गी के रोगी को चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना पड़ता है. जिस प्रकार सुगर के मरीज को पूरी जिंदगी भर दवा लेना पड़ता है. उसी प्रकार इस बीमारी में भी दवा का सेवन करना पड़ता है. मिर्गी के दौरे के संबंध में बताया कि मिर्गी विभिन्न कारणों से मुख्यत: कोई बड़ी बीमारी जैसे मस्तिष्क का बुखार, सिर में चोट, ट्यूमर, वस्कुलर डिजीज या कोई इंफेक्शन की वजह से होता है. कभी- कभी इसे वंशानुगत कारण माना जाता है, लेकिन अभी तक इस पर बहुत सहमति नहीं बन सकी है.

मिर्गी मरीज ये बरतें सावधानी

सोशल मनोसामाजिक कार्यकर्ता नील कुसुम लकड़ा ने बताया कि मिर्गी मरीज को अकेले कभी भी बाजार नहीं जाना चाहिए. उसे आग, पानी, कुआं, तालाब आदि से दूर रहना चाहिए. बाइक, कार या कोई बड़ी वाहन को नहीं चलाना चाहिए, बल्कि उसे बाइक, कार या कोई बड़ी वाहन में सफर करने के समय अपने साथ अपने एक आदमी को हमेशा लेकर चलना चाहिए.

फकीरी विधि से होता है इलाज : विपिन सिन्हा

श्री सर्वेश्वरी समूह, गुमला शाखा के मंत्री विपिन कुमार सिन्हा ने कहा कि सर्वेश्वरी समूह द्वारा फकीरी विधि से मिर्गी रोगियों का इलाज किया जाता है. लगभग एक हजार से अधिक लोगों का सफल इलाज किया जा चुका है. कोरोना काल के समय दो वर्षों से अभी तक शिविर का आयोजन नहीं किया जा सका है. इस वर्ष उम्मीद है कि शिविर का आयोजन कर फकीरी विधि से मिर्गी मरीजों का इलाज किया जायेगा.

Also Read: Jharkhand Weather News: बेमौसम बारिश ने किसानों की बढ़ायी परेशानी, खेतों में कटा धान पानी में डूबा, बढ़ेगी ठंड

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version