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National Sports Day: गुमला में लाखों खर्च कर बने स्टेडियम, पर खेलने लायक ग्राउंड तक नहीं

आज खेल दिवस है. खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई संकल्प लिए जाते हैं. लेकिन, इसके ठीक उलट गुमला में खिलाड़ियों के लिए अदद खेल मैदान भी नहीं है, जहां वो प्रैक्टिस कर सके. लाखों खर्च स्टेडियम बने, लेकिन ग्राउंड खेलने के लायक भी नहीं है.

National Sports Day: गुमला जिले में खेल व खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर स्टेडियम का निर्माण किया गया है. परंतु, सभी खेल ग्राउंड भ्रष्टाचार कर भेंट चढ़ गया. कई ग्राउंड तो बनने के बाद से उपयोग नहीं हुआ है. स्टेडियम को जैसे-तैसे बनाकर छोड़ दिया गया. ग्राउंड खेलने के लायक भी नहीं है. आज खेल दिवस है. प्रभात खबर ने जिले के सभी छह ब्लॉक के खेल ग्राउंड का हाल जाना. कई ब्लॉक में तो सरकारी ग्राउंड नहीं है और जहां है. वहां खेलने लायक ग्राउंड नहीं है.

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घाघरा में चेंजिंग रूम व गैलेरी बेकार

घाघरा प्रखंड के रन्हे स्थित प्रखंड स्तरीय मिनी स्टेडियम में बने गैलरी व चेंजिंग रूम जर्जर हो गया है. ग्राउंड को बनाने में 40 लाख रुपये खर्च हुआ है. परंतु, बेकार है. चेंजिंग रूम का दरवाजा टूटा हुआ है. खिड़की भी बर्बाद हो चुका है. स्थानीय खिलाड़ी अपने स्तर से ग्राउंड की साफ सफाई कराते रहते हैं. भवन पूरी तरह से जर्जर है. दर्शक दीर्घा के लिए बने गैलेरी में घास उगा हुआ है.

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कामडारा में ग्राउंड के अंदर पेड़ और चट्टान

कामडारा के बेसिक स्कूल मैदान में बना स्टेडियम बेकार है. स्टेडियम के अंदर बास्केट बॉल का ग्राउंड जैसे तैसे बना है. यहां किसी प्रकार का खेल भी नहीं होता है. ग्राउंड में लोग कसरत, योगा, दौड़ने का अभ्यास, समेत किसी प्रकार का शारीरिक कसरत भी नहीं करते नजर आते हैं. कामडारा फुटबॉल कमेटी के रंजन साहू, संजय साहू, जयंत ठाकुर, शशिकांत सिंह, उत्तम राम, अनिरुद्ध ठाकुर ने कहा कि ग्राउंड का क्षेत्रफल कम है. जिस कारण इसका उपयोग नहीं होता है. सिर्फ स्कूल के बच्चे कभी कभार फुटबॉल खेलते हैं. स्टेडियम बनाकर सरकारी राशि की बरबादी हुई है. ग्राउंड के अंदर पेड़ और चट्टान है. जिप सदस्य दीपक कंडुलना, कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत गुड़िया व बीस सूत्री अध्यक्ष रोशन तोपनो ने कहा कि डीसी से मिलकर स्टेडियम का क्षेत्रफल बढ़ाने की मांग करेंगे.

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चैनपुर में सरकारी स्टेडियम नहीं है

चैनपुर प्रखंड में कोई भी सरकारी स्टेडियम नहीं है. यहां एक सरकारी स्टेडियम की आवश्यकता है. जिससे बच्चे खेलकूद का रिहर्सल कर सके. योगा कर सकें. खेल व खिलाड़ियों के बढ़ावा के लिए यहां खेल ग्राउंड जरूरी है.

पालकोट में सरकारी स्टेडियम नहीं बना

पालकोट प्रखंड में खेलने के लिए कहीं भी स्टेडियम नहीं है. राजा मैदान में कंदर्प स्कूल का एक ग्राउंड है. वह छोटा है. ग्राउंड से होकर ही लोग आवागमन करते हैं. यहां एक गैलेरी है. लेकिन छत नहीं है. बघिमा उच्च विद्यालय में एक खेल मैदान है. इसके अलावा पोजेंगा के केउंदटोली उच्च विद्यालय में एक खेल मैदान है. परंतु, यहां गैलेरी नहीं है.

डुमरी में स्टेडियम में कोई सुविधा नहीं

डुमरी मुख्यालय स्थित स्टेडियम की स्थिति खराब है. 15 लाख से यह 20 वर्ष पूर्व बना था. स्टेडियम के प्रवेश व निकासी द्वार में ग्रील गेट नहीं है. शौचालय व पेयजल व्यवस्था नहीं है. चेंजिंग रूम बेकार पड़ा है. बैठने के लिए मंच और सीढ़ी बना है. परंतु गर्मी, बरसात से बचने के लिए ऊपर छत नहीं है. मंच और सीढ़ियां टूटने लगी है. ग्राउंड का नाली जाम हो गया है. झाड़ियां उग आयी है.

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बसिया में स्टेडियम बनाने में भ्रष्टाचार

बसिया स्टेडियम का निर्माण 72 लाख की लागत से 2013 में हुआ था. वर्तमान में स्टेडियम की स्थिति ठीक है. लेकिन संवेदक की लापरवाही या प्रशासन की उदासीनता के कारण बास्केट बॉल मैदान अधूरा छोड़ दिया गया है. स्ट्रीट लाइट लगाना था जो अब तक नहीं लगाया गया. चेंजिंग रूम की स्थित ठीक नही है. छत में दरार पड़ गया है. पेयजल की सुविधा नहीं है. रख रखाव की कोई सुविधा नहीं है. गैलरी का अभाव है.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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