यूरोप के चर्च के स्वरूप में बना है नवाडीह चर्च, निर्माण में खर्च हुए थे 11 हजार रुपये
डुमरी प्रखंड के नवाडीह पल्ली का इतिहास उस अतीत और सुदूर घटना क्रम से जुड़ा है. जिसे सहज से नहीं देखा जा सकता है, वह है, बंगाल मिशन और 28 नवंबर 1859 की तिथि.
गुमला : डुमरी प्रखंड के नवाडीह पल्ली का इतिहास उस अतीत और सुदूर घटना क्रम से जुड़ा है. जिसे सहज से नहीं देखा जा सकता है, वह है, बंगाल मिशन और 28 नवंबर 1859 की तिथि. जब चार बेल्जियम और तीन अंग्रेज यीशु संघियों का पदार्पण कलकत्ता में हुआ था. कलकत्ता उपधर्मप्रांत बहुत विस्तृत था.
संपूर्ण पश्चिम बंगाल, छोटानागपुर का भाग और ओड़िशा तक फैला था. इस क्षेत्र में फादर लिवंस के आगमन के बाद साहूकार, जमींदारी प्रथा, लगान प्रथा के खिलाफ उलगुलान चालू किया. उसके बाद क्षेत्र में फादर लिवंस ने सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कार्य किये. उन्हीं के प्रयास के बाद नवाडीह में चर्च की स्थापना संभव हो पायी.
बरवे क्षेत्र में चर्च निर्माण में फादर लिवंस का बहुत बड़ा योगदान रहा है. बरवे क्षेत्र में सबसे पहले सन 1893 ईस्वी में कटकाही पल्ली, आठ मई सन् 1901 को टोंगो पल्ली और सन् 1907 को नवाडीह पल्ली की स्थापना की गयी. नवाडीह के अंतर्गत 12 छोटे-छोटे चर्च आते हैं. नवाडीह पल्ली की स्थापना काल सन 1907-2020 तक 24 पुरोहितों ने अपना योगदान दिया है. अभी पल्ली पुरोहित के रूप में फादर पिंगल कुजूर कार्यरत हैं.