कोयल शंख जोन में लेवी वसूलने की थी नक्सली बुद्धेश्वर जिम्मेवारी, पुलिस ने पकड़ने के लिए ऐसी बनायी थी रणनीति

उसे संगठन की ओर से कोयल शंख जोन में लेवी वसूलने और संगठन को बढ़ाने के अलावा अन्य जिम्मेदारियां भी मिली थी. हाल के दिनों में वह रविंद्र गंझू के संपर्क में भी आकर और साथ मिलकर इलाके में संगठन का प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा था.

By Prabhat Khabar News Desk | July 16, 2021 1:44 PM

गुमला : गुमला में अभियान के दौरान पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारा गया नक्सली बुद्धेश्वर उरांव आईईडी लगाने का माहिर था. उसने ही खुद से दस्ता के सदस्यों के साथ खुद को सुरक्षित रखने के लिए करूमगढ़ और आसपास के इलाके में आईईडी तैयार कर लगा रखा था. जिसके कारण उसकी तलाश में अभियान के दौरान पूर्व में कोबरा बटालियन का एक जवान घायल होने के साथ एक स्वान शहीद हो गया था. जबकि बुधवार को एक ग्रामीण की मौत हो गयी थी, और 2 लोग घायल हो गए थे.

उसे संगठन की ओर से कोयल शंख जोन में लेवी वसूलने और संगठन को बढ़ाने के अलावा अन्य जिम्मेदारियां भी मिली थी. हाल के दिनों में वह रविंद्र गंझू के संपर्क में भी आकर और साथ मिलकर इलाके में संगठन का प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा था.

बुद्धेश्वर उरांव को घेरने की रणनीति डीजीपी नीरज सिन्हा,एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर और आईजी अभियान एवी होमकर ने तैयार की थी. तीनों अधिकारियों की संयुक्त रणनीति के कारण ही अभियान में शामिल अफसरों और जवानों को बुद्धेश्वर उरांव को घेरने में सफलता मिली. जिसके कारण ही इन काउंटर के दौरान वह मारा गया. जबकि इसके पहले वह पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद दर्जनों बार भाग निकलने में सफल रहता था.

अभियान के दौरान जब बुद्धेश्वर उरांव को घरते हुए पुलिस की टीम उसके पास पहुंचे, तब उसने अपने दस्ता के सदस्यों के साथ मिलकर पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी थी. जिसके बाद पुलिस ने उस पर जवाबी फायरिंग की थी. एनकाउंटर में बुद्धेश्वर के मारे जाने के बाद पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का मानना है कि इलाके में नक्सलियों के प्रभाव में कमी आयेगी और इलाके में संगठन का प्रभाव भी कमजोर होगा. वहीं, दूसरी ओर अब हार्डकोर इनामी नक्सली रविंद्र गंझू भी कमजोर होगा. क्योंकि दोनों के साथ मिल जाने के कारण इलाके में नक्सलियों का प्रभाव बढ़ रहा था.

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