गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला पुलिस ने भाकपा माओवादी के 10 लाख रुपये के इनामी सबजोनल कमांडर शंभु गंझू उर्फ रवि गंझू को गिरफ्तार कर रविवार को जेल भेज दिया. रवि गंझू का घर चतरा जिला के टंडवा थाना स्थित हुम्बी सराढ़ू गांव है. पुलिस ने उसे घाघरा थाना के दीरगांव स्थित झलकापाठ कारासिली जंगल से गिरफ्तार किया है. उसके ऊपर चतरा, लातेहार, गुमला में एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज है.
2013 से था पुलिस की रडार पर
वर्ष 2013 से पुलिस उसे खोज रही थी. वह भाकपा माओवादी के सैक सदस्य छोटू खेरवार के दस्ते में घूमता था. साथ ही सैक सदस्य बिरसाइ उर्फ साकेत का बॉडागार्ड भी रह चुका है. इधर, गुमला जिले में भाकपा माओवादी संगठन के कमजोर होने के बाद रवि गंझू को गुमला जिले में संगठन को मजबूत करने व विस्तार करने की जिम्मेवारी मिली थी. इसलिए वह कई दिनों से घाघरा, बिशुनपुर व चैनपुर के गांवों में घूम रहा था. जो पुराने कैडर के सदस्य हैं और संगठन छोड़ दिये हैं. ऐसे लोगों को रवि गंझू खोजकर पुन: संगठन में शामिल होने के लिए दबाव बना रहा था.
गुप्त सूचना के आधार पर की छापेमारी
लेकिन, उससे पहले गुमला के पुलिस अधीक्षक शंभू कुमार सिंह को इसकी गुप्त सूचना मिल गयी. इसके बाद एसपी के निर्देश पर एसडीपीओ गुमला, घाघरा थाना प्रभारी व क्यूआरटी की टीम का गठन किया गया. पुलिस टीम ने रवि गंझू को पकड़ने के लिए रणनीति बनायी. इसके बाद पुलिस टीम घाघरा थाना क्षेत्र के दीरगांव इलाके में घुसी और घेराबंदी कर रवि गंझू को गिरफ्तार किया. जिस समय रवि गंझू को पकड़ा गया. वह अकेला था. उसके अन्य साथी साथ में नहीं थे. रवि के पास हथियार नहीं मिला है. क्योंकि वह ग्रामीण वेशभूषा में गांव-गांव घूमकर संगठन मजबूत करने में लगा हुआ था. हालांकि, उसके पास से एक थैला मिला है. जिसमें रवि गंझू के उपयोग के समान साबुन, टूथ ब्रश, कोलगेट पेस्ट, कपड़ा साथ ही भाकपा माओवादी की प्रिंटेड पर्चा मिला है.
संगठन विस्तार व लेवी वसूलने आया था : एसपी
प्रेस कांफ्रेंस में गुमला के एसपी शंभू कुमार सिंह ने बताया कि गुमला के बिशुनपुर, घाघरा व चैनपुर इलाके में भाकपा माओवादी के कमजोर होने के बाद सैक सदस्य छोटू खेरवार के कहने पर रवि गंझू घाघरा इलाके में लेवी का पैसा वसूलने व संगठन विस्तार करने के इरादे से घुसा था. तभी गुप्त सूचना मिली. तुरंत पुलिस टीम का गठन किया गया और रवि गंझू को गिरफ्तार किया गया. एसपी ने बताया कि जब पुलिस दीरगांव के झलकापाट इलाके में घुसी तो एक व्यक्ति का संदिग्ध अवस्था में घूमते हुआ देखा. पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पीठ पर टांगे बैग की जांच की तो उसमें से भाकपा माओवादी का पर्चा मिला. पूछताछ में पता चला कि वह भाकपा माओवादी का सबजोनल कमांडर है और उसके ऊपर सरकार ने 10 लाख रुपये का इनाम रखा है. रवि गंझू से पूछताछ में उसने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है. जिसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी. एसपी ने बताया कि रवि गंझू के दस्ते में कुल आठ सदस्य है. परंतु, उसके अन्य साथी बूढ़ापहाड़ इलाके में है. वह अकेले इस क्षेत्र में घुसा था. खुद रवि गंझू लातेहार जिला के बूढ़ा पहाड़ में ही रहता था. परंतु, भाकपा माओवादी के शीर्ष नेताओं के आदेश पर वह गुमला में घुसा और पकड़ा गया.
दो घंटे तक पुलिस से लड़ने की क्षमता रवि में है
वर्ष 2013 में चैनपुर प्रखंड के सिविल जंगल में झारखंड पुलिस व भाकपा माओवादी के बीच मुठभेड़ हुआ था. यह झारखंड का सबसे बड़ा मुठभेड़ था. दो दिनों तक लगातार मुठभेड़ चला था. उस समय एक पुलिस जवान शहीद हुआ था. जबकि भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर रामचंद्र परहिया मारा गया था. परंतु, उस समय नक्सली अपने साथी रामचंद्र के शव को उठाकर ले गये थे और कुरूमगढ़ इलाके में कहीं दफना दिये थे. उस मुठभेड़ में भाकपा माओवादी के सभी बड़े नेताओं के साथ रवि गंझू भी शामिल था. रवि गंझू उस समय सैक सदस्य बिरसाइ उर्फ साकेत का बॉडीगार्ड था. पुलिस को भारी पड़ता देख रवि अपने दस्ते के साथ निकल गया था. बताया जा रहा है कि बिरसाइ की सुरक्षा के क्रम में रवि गंझू पुलिस की गोली से बच गया था. इसके बाद रवि गंझू कई मुठभेड़ में शामिल रहा है. पुलिस के अनुसार रवि हस्तपुष्ट है. वह एक साथ कई लोगों से लड़ भी सकता है. साथ ही अकेले वह पुलिस के साथ डेढ़ से दो घंटे तक मुठभेड़ करने की क्षमता रखता है. इसलिए रवि गंझू की गिरफ्तारी गुमला पुलिस के लिए बड़ी सफलता है.
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