बसिया : साइबर अपराधियों के जाल में अब पढ़े-लिखे लोग भी आने लगे हैं. यहां तक कि साधु-संत समाज के लोग भी. ताजा मामला झारखंड के गुमला जिला के बसिया स्थित विवेकानंद सेवा संस्थान से जुड़ा है. संस्थान के सचिव स्वामी अद्वैतानंद पुरी तत्काल लोन की चाह में साइबर अपराधियों की बातों में आ गये और अपने 21 हजार रुपये गंवा बैठे.
स्वामी अद्वैतानंद पुरी ने बताया कि उन्होंने विज्ञापन देखा कि सोनालिका फाइनांस कंपनी से तत्काल लोन मिल जाता है. उस विज्ञापन पर दिये गये मोबाइल नंबर से उन्होंने संपर्क किया. दूसरी तरफ से सुबोध सिंह नामक व्यक्ति ने बड़ी शालीनता से उनसे बातचीत की. कहा कि तत्काल लोन मिल जायेगा.
इसके बाद सुबोध सिंह नामक व्यक्ति ने स्वामी जी से आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक का पासबुक एवं व्यक्तिगत तथा संस्थान के सारे कागजात देने के लिए कहा. स्वामी पुरी ने सारे कागजात ऑनलाइन उसे दे दिये. सुबोध सिंह ने स्वामी अद्वैतानंद को बताया कि उन्हें 10 लाख रुपये लोन मिल जायेंगे. इसे 10 हजार रुपये प्रति माह की किस्त पर वह 10 साल में चुका सकेंगे.
सारी बातें तय हो जाने के बाद सुबोध ने उनसे कहा कि वह 1,000 (एक हजार रुपये) रुपये उन्हें भेजे. इसके बाद 4,800 रुपये, फिर 2,000 रुपये की मांग की. इसके बाद दो बार उनसे 4,000-4,000 रुपये देने के लिए कहा. 14,800 रुपये भेजने के बाद उसने 1,600 और 600 रुपये फिर से भेजने के लिए कहा.
स्वामी अद्वैतानंद पुरी ने इतने रुपये उसे भेज दिये. अब तक स्वामी जी कथित सुबोध सिंह को 17,000 रुपये दे चुके थे. इसके बाद सुबोध ने उनसे कहा कि वह अपने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) की डिटेल बतायें और 4,600 रुपये उसके खाते में ट्रांसफर करें. तब जाकर स्वामी अद्वैतानंद का माथा ठनका.
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उन्होंने उससे हेड ऑफिस का पता पूछा. उसने गांधीनगर बेंगलुरु बताया. स्वामी जी ने चेक किया कि जिस खाते में पैसे डाले हैं, वह नयी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित एक्सिस बैंक में किसी अमन सिंह का खाता है. इसके बाद उन्होंने अनुभवी लोगों से जानकारी ली. तब जाकर उन्हें मालूम हुआ कि साइबर ठगी का यह नया तरीका है.
जानकारों ने स्वामी अद्वैतानंद को बताया कि वह साइबर क्रिमिनल के झांसे में आ चुके हैं. इसके बाद स्वामी अद्वैतानंद पुरी ने प्रशासन से गुहार लगायी है. उन्होंने आग्रह किया है कि प्रशासन साइबर क्रिमिनल्स पर लगाम कसे, ताकि उनकी तरह कोई और व्यक्ति अपराधियों के झांसे में आकर अपना सब कुछ न लुटा बैठे.
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Posted By : Mithilesh Jha