गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला जिले में खेतीबारी के लिए पर्याप्त बारिश के इंतजार के बीच खरीफ फसलों की खेती शुरू हो गयी है. इस बार मानसून देर से पहुंचा. जिस कारण अधिकांश किसानों को खरीफ फसलों की खेती शुरू करने के लिए बारिश का इंतजार करना पड़ रहा है. जिला कृषि कार्यालय के रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छी खेतीबारी लायक पूरे जून माह में 205 मिमी बारिश की जरूरत होती है जबकि जिले में 115 मिमी ही बारिश हुई. वहीं, जुलाई माह में 300 मिमी बारिश की जरूरत है, जबकि सात जुलाई तक मात्र 55 मिमी ही बारिश हुई.
जिले में 7250 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती हुई
इतनी बारिश के बीच खेतीबारी की तैयारियों के बाद जिन खेतों में पर्याप्त मात्रा में खेती लायक पानी हो गया. वैसे खेतों में किसानों ने विभिन्न फसलों की खेती शुरू कर दिया है. किसान अपने-अपने खेतों में धान, मक्का, मड़ुआ, अरहर, उरद, मूंग, मूंगफली आदि फसलों की खेती करने लगे हैं. जिला कृषि कार्यालय के रिपोर्ट के मुताबिक, सात जुलाई तक जिले भर में 7250 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती हुई है. जिसमें सबसे ज्यादा खेती छींटा विधि से हुई है. छींटा विधि से 6482 हेक्टेयर भूमि पर खेती हुई है, जबकि रोपा विधि से 1038 हेक्टेयर भूमि पर खेती हुई है.
करीब 1.90 लाख हेक्टेयर भूमि में होती है धान की खेती
बता दें कि खरीफ मौसम में जिले में सबसे अधिक धान की खेती होती है. करीब 1.90 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती होती है. इसी प्रकार मड़ुआ के निर्धारित लक्ष्य 10 हजार हेक्टेयर के खिलाफ 1555 हेक्टेयर भूमि पर खेती हो चुकी है. पूर्व में मड़ुआ की खेती जिले भर में लगभग 1500 हेक्टेयर भूमि तक सीमित थी, लेकिन विगत वर्ष उपायुक्त सुशांत गौरव की पहल से मड़ुआ को एक नया आयाम देने का प्रयास किया गया. जिसका नतीजा है कि गत वर्ष जिले भर में लगभग 3500 हेक्टेयर भूमि पर मड़ुआ की खेती हुई.
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मिशन रागी के तहत 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर मड़ुआ उत्पादन का लक्ष्य
वर्तमान में गुमला की धरती पर उपजे मड़ुआ से अनेकों प्रकार के खाद्य सामग्री बनाकर ब्रांडिंग की गयी है. साथ ही मड़ुआ की गुणवत्ता को देखते हुए मिशन रागी (मड़ुआ) चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत इस वर्ष जिले भर में 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर मड़ुआ का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, मक्का के निर्धारित लक्ष्य 8100 हेक्टेयर के विरूद्ध 4227 हेक्टेयर, अरहर 16 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 1038 हेक्टेयर, उरद आठ हजार के विरूद्ध 625 हेक्टेयर, मूंग 1500 हेक्टेयर के विरूद्ध 52 हेक्टेयर तथा मूंगफली की खेती पांच हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 2548 हेक्टेयर भूमि पर हो चुकी है. हालांकि, अभी भी अधिकांश किसान खेती करने के लिए खेत में पर्याप्त पानी जमा होने का इंतजार कर रहे हैं. कोई किसान अपने खेत में गोबर डालकर खेत की जुताई-कुड़ाई के लिए खेत में पर्याप्त पानी जमा होने का इंतजार कर रहा है तो कोई किसान अपने खेत से खर-पतवार की सफाई करने तथा मेढ़ बनाकर खेत को तैयार करने में लगा है.