जगरनाथ, गुमला: गुमला के वृंदा बहवारटोली गांव के चार भाई-बहन अनाथ हो गये हैं. अब इनका जीवन संकट में है. हालात ये हैं कि इनके समक्ष रोटी का जुगाड़ करना बड़ी चुनौती है. मानव तस्करी का शिकार होने का भी डर है. हालांकि चारों बच्चे अभी अपने रिश्तेदार के पास हैं. परंतु, रिश्तेदार भी गरीबी में जी रहे हैं. जिस कारण बच्चों की बेहतर परवरिश व सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है.
आपको बता दें कि इनके पिता संजय प्रधान की मृत्यु चार साल पहले बीमारी की वजह से हो गयी थी. वहीं, तीन माह पहले मां जयंती देवी की भी मौत बीमारी की वजह से हो गयी. संजय व जयंती की मौत के बाद उनके चार बच्चे अनाथ हो गये. उनके दो लड़के व दो लड़कियां हैं, जो माता-पिता की मौत के बाद अब रिश्तेदार के साथ रहते हैं
अनाथ बच्चों में संजीत प्रधान उम्र 11 साल, शिवम प्रधान उम्र पांच साल, रूपा प्रधान उम्र नौ साल व श्रृष्टि प्रधान उम्र सात साल है. इनके सिर से माता पिता का साया हट गया है. इन बच्चों की परवरिश मामा, मामी व कुछ रिश्तेदार कर रहे हैं. लेकिन इन रिश्तेदारों के भी अपने बाल बच्चे हैं. जिस कारण रिश्तेदारों के समक्ष इन अनाथ बच्चों की परवरिश की चिंता सताने लगी है. रिश्तेदार प्रवीण प्रधान ने कहा कि अगर इन बच्चों को आश्रय व सुरक्षा नहीं मिला तो ये मानव तस्करी का शिकार हो सकते हैं. उन्होंने गुमला प्रशासन से इन बच्चों को सुरक्षा, आश्रय, शिक्षा व जीविका चलाने में मदद करने की मांग की है.
मजदूर संघ सीएफटीयूआइ के झारखंड प्रदेश सचिव जुम्मन खान, गुमला जिला की महिला जिलाध्यक्ष सुनीता कुमारी, उपाध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने बताया कि गांव के लोगों ने अनाथ बच्चों की जानकारी दी है. इन बच्चों की अच्छी परवरिश जरूरी है. क्योंकि गुमला में अक्सर देखा गया है कि अनाथ बच्चों पर मानव तस्करों की नजर सबसे ज्यादा रहती है. इसलिए इनकी सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेवारी है.