मात्र कर्मों पर हमारा अधिकार, फलों के ऊपर नहीं : डॉ पद्मराज
अष्ट दिवसीय धर्मोत्सव का छठा दिन
सिमडेगा. टुकुपानी के ज्योतिष गुरुकुल में आयोजित अष्ट दिवसीय धर्मोत्सव के छठे दिन कथावाचक डॉ पद्मराज स्वामी जी महाराज ने कहा कि परमात्मा ने हमें हमारे अधिकारों के संबंध में स्पष्ट कहा है कि मात्र कर्मों के ऊपर हमारा अधिकार है. उसके फलों के ऊपर नहीं. इसका अर्थ है कि जब तक कर्म किये नहीं जाते तब तक आप मालिक हो. जैसे चाहो वैसे कर्म कर सकते हो. किंतु एक बार कर्म बंधन हो जाये, तब उसके परिणाम में आपकी कोई मलकियत नहीं चलेगी. क्योंकि तब आपका कर्म ही आपका मालिक हो जायेगा. कर्म करते समय शुभ या अशुभ कर्मों के लिए आप स्वतंत्र हैं. जिसके जैसे कर्म हों, उसको वैसी ही भूमिका मिलनी चाहिए. ब्राह्मण के घर में जन्म लेने मात्र से कोई ब्राह्मण नहीं हो सकता. उसके लिए आवश्यक है कि उसमें ब्राह्मणोचित कर्म हो. अत: कर्म से ही कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र हो सकता है, मात्र जन्म से नहीं. तीर्थंकर महावीर के जन्म कल्याणक के बाबत स्वामी जी ने कहा कि वे चतुर्विध तीर्थ के संस्थापक थे. इसीलिए वे तीर्थंकर कहलाये. तीर्थ का अर्थ है बुराई को त्यागकर अच्छाई की ओर ले जाने वाला. अत: संसार रूपी समुद्र को तैरने के उपायों को तीर्थ कहा और ऐसे तीर्थों को जंगमतीर्थ तथा स्थावरतीर्थ के रूप में दो भागों में बांटा. जो प्रसिद्ध तीर्थ-भूमियां है वे सभी स्थावर तीर्थ हैं. इस अवसर पर साध्वी वसुंधरा जी महाराज, गुरुकुल महिला मंडल ने सुमधुर भजनों पर भक्तों को झूमने के लिए विवश कर दिया. अथर्व सिंह, अंश प्रसाद ने महावीर की जीवंत झांकी प्रस्तुत की. मानवी कुमारी, सृष्टि कुमारी, आकांक्षा कुमारी और वर्षा कुमारी ने नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत की. प्रसाद वितरण का लाभ प्रमोद-रेखा जैन, प्रवीण-सुनीता जैन, सुशील-उमा जैन, सुकांति देवी परिवार को प्राप्त हुआ. गुरु मां ने प्रभु की महिमा प्रस्तुत की.