अस्पताल से डॉक्टर गायब थे, एंबुलेंस में तेल नहीं था और मारपीट में घायल युवक तड़पता रहा. परंतु, उसके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी. अंत में थाना प्रभारी अनिल लिंडा ने मानवता का परिचय देते हुए अपनी पुलिस की गाड़ी में घायल को बैठा कर सदर अस्पताल पहुंचा इलाज की व्यवस्था करायी.
यह मामला पालकोट प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. पालकोट अस्पताल की अव्यवस्था की कहानी कोई नयी नहीं है. यहां आये दिन डॉक्टर गायब रहते हैं, जिसका खमियाजा पालकोट के मरीजों को भुगतनी पड़ रही है. मजबूरी में लोग निजी क्लीनिक या फिर बसिया व गुमला अस्पताल में आकर इलाज कराते हैं.
अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर कई बार आंदोलन हुआ व तालाबंदी तक की गयी. सरकार से लेकर प्रशासन व स्थानीय विधायक व सांसद तक को इस समस्या से अवगत कराया गया. इसके बावजूद पालकोट अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है. ज्ञात हो कि सोमवार को मारपीट की घटना में शनि नायक गंभीर रूप से घायल हो गया.
पालकोट थाना प्रभारी अनिल लिंडा को इसकी जानकारी मिली. वे तुरंत पुलिस बल के साथ घटना स्थल पहुंच मारपीट को रोका. साथ ही घायल की स्थिति को देखकर एंबुलेंस को फोन किया. परंतु, अस्पताल से सूचना मिली कि एंबुलेंस में तेल नहीं है. इसलिए घायल मरीज को अस्पताल लाने में परेशानी है.
थाना प्रभारी ने मरीज की जान बचाने के लिए खुद अपनी गाड़ी में घायल को बैठाये और पालकोट अस्पताल लेकर पहुंचे. परंतु, अस्पताल पहुंचने पर वहां डॉक्टर नहीं थे. अंत में थानेदार ने घायल युवक को तुरंत गुमला अस्पताल ले जाकर इलाज की व्यवस्था करायी. थाना प्रभारी ने कहा कि मैं एंबुलेंस को फोन किया, तो उसमें तेल नहीं था.
अस्पताल आया, तो डॉक्टर नहीं थे. इधर, अस्पताल की चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बिरसी देवी ने कहा कि थानेदार एक मरीज को घायल अवस्था में लेकर आये थे. मरीज पुलिस गाड़ी में ही बैठा था. जब उन्होंने अस्पताल में डॉक्टर को नहीं देखा, तो मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे गुमला ले गये.