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सिसई प्रखंड का ऐसा गांव जहां न ही दवा-डॉक्टर की व्यवस्था और न ही चिकित्सा की, गांव वाले इसी आस में कि कभी तो होगा शुरू

यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. भवन बनने के बाद ठेकेदार ने गेट पर ताला लगा दिया है. यह ताला आज तक नहीं खुला है. ग्रामीण कहते हैं कि अस्पताल शुरू हो जाये तो हमें बीमारी से मरना नहीं पड़ेगा.

Jharkhand News, Gumla News सिसई : न दवा, न डॉक्टर-नर्स और न ही चिकित्सा की व्यवस्था है. बीमार पड़े तो भगवान ही बचाये. हम बात कर रहे हैं सिसई प्रखंड के पंडरानी गांव स्थित अस्पताल का. यहां 2019 में दो करोड़ रुपये से अस्पताल भवन बना है. परंतु अभी यह बेकार पड़ा है.

यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. भवन बनने के बाद ठेकेदार ने गेट पर ताला लगा दिया है. यह ताला आज तक नहीं खुला है. ग्रामीण कहते हैं कि अस्पताल शुरू हो जाये तो हमें बीमारी से मरना नहीं पड़ेगा.

कम से कम बोरिंग को चालू कर देते :

अस्पताल के समीप स्थित टंगराटोली, कुदा टोली, कदम टोली गांव है. करीब 60 परिवार है. इस गांव में जल संकट गहरा गया है.

कुआं सूख गया है. ग्रामीण कहते हैं कि अस्पताल परिसर में दो बोरिंग की गयी है. अगर इसे चालू कर दिया जाता तो कम से कम अस्पताल से पीने का स्वच्छ पानी तो मिल जाता.

गांव वाले अस्पताल को सुरक्षित रखे हैं :

पंचायत की मुखिया फ्लोरेंस देवी, केश्वर सिंह, दुर्गेश देवी, महोदरी देवी, चंदन साहू, रामचरित्र सिंह ने कहा कि जिस समय पूर्व स्पीकर दिनेश उरांव द्वारा अस्पताल का शिलान्यास किया गया था. उस समय पंडरानी गांव सहित इस इलाके के कई सुदूरवर्ती गांवों के लोगो को पंडरानी गांव में बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलने की आस जगी थी.

किंतु भवन पूरा होने के ढाई साल बीत जाने के बाद भी चिकित्सा व्यवस्था शुरू नहीं होने से ग्रामीण मायूस हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अस्पताल में बिजली, पानी सहित भवन में सभी तरह की सुविधा उपलब्ध है. अस्पताल को गांव वाले सुरक्षित रखे हुए हैं कि कभी तो चालू होगा. कोरोना काल में ग्रामीण छोटी मोटी बीमारी से परेशान हैं. अस्पताल शुरू होता तो अभी लोगों को परेशानी नहीं होती.

Posted By : Sameer Oraon

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