सात साल पहले बना परसा अस्पताल आज तक बंद है, गुमला जिला की व्यवस्था चौपट, बर्बाद हो रहा जनता का 50 लाख
भवन में सात साल से ताला बंद है. देख-रेख नहीं हो रहा है. जिससे अस्पताल झाड़ियों से भर गया है. भवन भी खंडहर होने लगा है. खिड़की व दरवाजे गायब हो रहे हैं. यह अस्पताल भवन 50 लाख रुपये से बना है. भवन बनने के बाद ठेकेदार ने गेट में ताला मार दिया और उसकी चाबी सिविल सर्जन गुमला को सौंपा दी गयी. परंतु, स्वास्थ्य विभाग ने परसा अस्पताल को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं की. आज भी इस क्षेत्र में कोई बीमार होता है तो इलाज के लिए गुमला या रायडीह अस्पताल जाना पड़ता है.
गुमला : गुमला की व्यवस्था चौपट है. इसका उदाहरण परसा अस्पताल का बंद होना है. रायडीह प्रखंड के परसा गांव में सात साल पहले 2013 में 50 लाख रुपये की लागत से स्वास्थ्य उपकेंद्र बना है. निर्माण के बाद आज तक अस्पताल का ताला नहीं खुला है.
भवन में सात साल से ताला बंद है. देख-रेख नहीं हो रहा है. जिससे अस्पताल झाड़ियों से भर गया है. भवन भी खंडहर होने लगा है. खिड़की व दरवाजे गायब हो रहे हैं. यह अस्पताल भवन 50 लाख रुपये से बना है. भवन बनने के बाद ठेकेदार ने गेट में ताला मार दिया और उसकी चाबी सिविल सर्जन गुमला को सौंपा दी गयी. परंतु, स्वास्थ्य विभाग ने परसा अस्पताल को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं की. आज भी इस क्षेत्र में कोई बीमार होता है तो इलाज के लिए गुमला या रायडीह अस्पताल जाना पड़ता है.
15 हजार आबादी प्रभावित :
परसा पंचायत से होकर ही ऊपरखटंगा पंचायत भी जाते हैं. इस क्षेत्र की आबादी करीब 15 हजार है. परंतु स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ नहीं मिलने से लोग परेशान हैं. लोगों को 15 किमी दूर रायडीह व 12 किमी गुमला की दूरी तय कर इलाज कराने के लिए अस्पताल आना पड़ता है. ऊपर से इस क्षेत्र की सड़क भी खराब है. जिस कारण अगर कोई बीमार हो गया तो अस्पताल आने में सड़क भी बाधक बनती है. गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. डर से गर्भवती महिलाएं सड़क से सफर नहीं करती है और घर पर ही दाई से प्रसव कराती हैं.
प्रमुख इस्माइल कुजूर की सुनिए :
रायडीह प्रखंड के प्रमुख इस्माइल कुजूर ने बताया कि स्वास्थ्य उप केंद्र वर्ष 2013 में करीब 50 लाख रुपये की लागत से बना है. परंतु इसे अभी तक चालू नहीं किया गया. जबकि मैं जिला प्रशासन की बैठकों में इस मुद्दे को सात वर्षों से लगातार उठा रहा हूं. पर इस पर कोई पहल नहीं की गयी. आज अस्पताल की जगह झाड़ियां भर गयी है. भवन खंडहर होने लगा है.