खेल के क्षेत्र में बुलंदी को छूने वाले गुमला जिला के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. गुमला में जिला लीग व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता वर्षों से बंद है. मजबूरी में खिलाड़ी अपना अभ्यास जारी रखने के लिए खस्सी फुटबॉल टूर्नामेंट खेल रहे हैं. तीन साल से जिला लीग व छह साल से अखिल भारतीय कार्तिक उरांव फुटबॉल प्रतियोगिता नहीं हुई है.
गुमला के राष्ट्रीय स्तर व सुब्रतो मुखर्जी में खेल चुके गुमला के कई होनहार खिलाड़ी इन दिनों गांवों के उबड़ खाबड़ ग्राउंड में खस्सी टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं. टूर्नामेंट में खिलाड़ी खाली पैर खेल रहे हैं. साथ ही ग्राउंड भी खराब होने के कारण खिलाड़ियों का खेल स्तर भी गिर रहा है.
बिना जूता के खेलने से खिलाड़ियों के खेल पर भी असर पड़ रहा है. गुमला प्रशासन, जिला फुटबॉल संघ, अखिल भारतीय कार्तिक उरांव फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजन समिति व खेल विभाग भी खेल को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं कर रहा है. जिससे गुमला में दिनों-दिन फुटबॉल खेल का स्तर गिरता जा रहा है. गांवों में खस्सी फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के कारण कई युवा गांवों में खेल के दौरान हड़िया व महुआ दारू के चंगुल में भी फंसते जा रहे हैं. अगर जल्द खेल व खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में नहीं सोचा गया तो आने वाले दिनों में गुमला में अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी नहीं मिलेंगे.