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Gumla News: महंगी है पीएम मत्स्य संपदा योजना, मछली पालक नहीं ले रहे हैं रूचि

मछली पालकों के लिए योजना है. योजना के तहत लाभुकों को सरकार द्वारा सरकारी अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा है. इसके बावजूद लोग योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

मछली पालकों के लिए योजना है. योजना के तहत लाभुकों को सरकार द्वारा सरकारी अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा है. इसके बावजूद लोग योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं गुमला जिले के मछलीपालक किसानों की. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना गुमला जिले के मछलीपालक किसानों के लिए हाथी के दांत की तरह साबित हो रहा है. योजना महंगी होने के कारण अब तक जिले के एक प्रतिशत मछली किसान भी योजना से लाभान्वित नहीं हो सके हैं.

योजना का लाभ नहीं उठा पाने का मुख्य कारण यह है कि योजना में शामिल कुछ योजनाओं को छोड़कर प्राय: योजना लाखों रुपये की है. हालांकि योजनाओं का लाभ सरकारी अनुदान पर राशि मुहैया करायी जा रही है, परंतु सरकारी अनुदान के बाद शेष राशि लाभुक को लगाने की जरूरत है. उक्त शेष राशि भी लाखों में रुपये है. जिसे लाभुक वहन नहीं कर पा रहे हैं.

साथ ही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्षेत्र के लिए नई योजना है. जिसे देखे बिना किसान समझ नहीं पा रहे हैं. जिस कारण किसान योजना के प्रति ज्यादा रूचि भी नहीं ले रहे हैं. विगत कई सालों से संचालित योजना का लाभ गिने-चुने हुए मछलीपालक किसान ही उठा सके हैं. जिला मत्स्य कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में पांच हजार से भी अधिक मछलीपालक किसान है. जिसके विरुद्ध कुछ किसान ही योजना का लाभ उठा सके हैं.

नये ग्रो आउट का तालाब निर्माण योजना दो लाभुक (लाभुक समिति) को दिया गया है. यह एक योजना सात लाख रुपये की है. बायोफ्लोक तालाब का निर्माण योजना एक लाभुक दिया गया है. यह योजना 14 लाख रुपये की है. माध्यम आरएएस इकाई की स्थापना एक लाभुक को दिया गया है. यह योजना 25 लाख रुपये की है. आईसबॉक्स के साथ मोटरसाइकिल योजना के तहत 10 लाभुकों को लाभान्वित किया गया है.

यह एक योजना 75 हजार रुपये की है. मछली बिक्री के लिए आईसबॉक्स के साथ तीन पहिया वाहन योजना का लाभ पांच लाभुकों को दिया गया है. यह एक योजना तीन लाख रुपये की है. उपरोक्त सभी योजना एससी-एसटी लाभुक को 60 प्रतिशत एवं अन्य लाभुक को 40 प्रतिशत अनुदान पर दिया गया है. वहीं 7.50 लाख रुपये लागत वाले चार मीटर व्यास एवं 15 मीटर ऊंचाई के सात टैंक वाले बायोफ्लोक की स्थापना पर पांच लाभुकों का काम चल रहा है.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

मत्स्य प्रसार पदाधिकारी सीमा टोप्पो ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य योजना इस क्षेत्र के लिए नयी योजना होने के साथ ही महंगी भी है. जिस कारण जिले के मछलीपालक किसान योजना से वंचित रह जा रहे हैं. कुछ छोटी-छोटी योजनाओं को छोड़कर प्राय: योजना तीन लाख रुपये से लेकर 650 लाख रुपये तक की है. योजना के तहत सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने के बाद भी जितनी राशि लगानी है. वह राशि भी मछलीपालक किसानों के लिए बहुत ज्यादा है. जिसे किसान वहन नहीं कर पा रहे हैं. अब मछलीपालक किसानों का लाभुक समिति बनाकर योजना से लाभान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं.

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