17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गुमला के आदिम जनजातियों से 15 जनवरी को बात करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, प्रशासन ने तैयारी शुरू की

कुल 49 पंचायत के 171 गांवों में आदिम जनजातियों का डेरा है. कुल परिवारों की संख्या 3475 है. आबादी 20 हजार से अधिक है. सबसे अधिक बिशुनपुर, डुमरी, चैनपुर व घाघरा प्रखंड के जंगल व पहाड़ों में ये जनजाति रहते हैं.

दुर्जय पासवान, गुमला :

गुमला जिले के जंगल व पहाड़ों में रहने वाले आदिम जनजातियों (असुर, कोरवा, बिरहोह व बृजिया) से 15 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बात करेंगे. आदिम जनजातियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पीएम मुखातिब होंगे. उनका हालचाल जानेंगे. साथ ही आदिम जनजाति के गांवों के विकास, रहन सहन, भाषा, शिक्षा सहित केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही पीएम जनमन योजना से मिल रहे लाभ के बारे में जानकारी लेंगे. गुमला के जनजातियों से पीएम के संभावित बातचीत को लेकर गुमला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. जिले के वरीय अधिकारी लगातार आदिम जनजाति गांवों का दौरा कर रहे हैं. गांवों की स्थिति से अवगत हो रहे हैं. साथ ही आदिम जनजाति गांवों में पीएम जन मन योजना के तहत कैंप लगाकर आदिम जनजातियों को सरकारी योजना का लाभ दिया जा रहा है.

ये आदिम जनजाति गुमला में रहते हैं

असुर, कोरवा, बृजिया व बिरहोर आदिम जनजाति के लोग गुमला में रहते हैं. कुल 49 पंचायत के 171 गांवों में आदिम जनजातियों का डेरा है. कुल परिवारों की संख्या 3475 है. आबादी 20 हजार से अधिक है. सबसे अधिक बिशुनपुर, डुमरी, चैनपुर व घाघरा प्रखंड के जंगल व पहाड़ों में ये जनजाति रहते हैं.

जनजातियों को ये लाभ दिया जा रहा है

राशन कार्ड व आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है. हर घर नल योजना, उज्जवला योजना, पीएम किसान, केसीसी, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना, सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन व आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है.

Also Read: ‘संसद में हुई घटना चिंताजनक’, बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- जरूरी है गहराई से जांच
गुमला प्रशासन प्लान पर कर रहा काम

आदिम जनजातियों के विकास के लिए गुमला प्रशासन 2023 से ही काम कर रहा है. गुमला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी खुद आदिम जनजातियों के विकास के लिए लगे हुए हैं. इसके लिए जनजातियों का आंकड़ा तैयार कर उस आंकड़े के आधार पर प्लान बनाकर किया जा रहा है.

जनजातियों के समक्ष ये समस्या है

मात्र 17 प्रतिशत आदिम जनजाति शिक्षित हैं. 40 प्रतिशत युवा दूसरे राज्य पलायन कर गये हैं. 171 में 45 गांव में ही स्कूल है. जबकि 126 गांवों में स्कूल नहीं है. स्कूल तक जाने के लिए सड़क व पुल पुलिया नहीं है. मात्र एक प्रतिशत आदिम जनजाति हाईर एजुकेशन प्राप्त किया है. 87 गांवों में ही आंगनबाड़ी केंद्र है. वहीं 74 गांवों तक मोबाइल कनेक्टीविटी है. जिन गांवों में आदिम जनजाति रहते हैं. उन गांवों से अस्पताल की दूरी आठ से 30 किमी है. यही वजह है. बीमार व गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है. 137 गांवों में स्वच्छ पानी की समस्या है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें