Prabhat Khabar Special: गरीबों की मददगार है ‘नेकी की दीवार’, जानें गरीबों को कैसे मिलता लाभ
गुमला में गरीबों की मददगार है नेकी की दीवार. युवा संगठन पिछले चार साल से गरीबों के बीच कपड़ा और गर्म वस्त्र बांट रहे हैं. बकायदा दीवार में स्लोगन लिखा है जो पुराने कपड़ा आपके उपयोग के नहीं हैं. यहां छोड़ जाये. जो आपके जरूरत की है. उसे ले जाये.
Prabhat Khabar Special: गुमला में नेकी की दीवार गरीबों की मददगार है. चार साल से गुमला के युवा गरीबों के बीच कपड़ा एवं गर्म कपड़ा बांट रहे हैं. ठंडा के मौसम में हजारों पुराने कपड़ा बांटते हैं. गरीबों की मदद करने के लिए गुमला शहर में नेकी की दीवार शुरू किया गया है. जहां हर दिन सैकड़ों कपड़े टांगे जाते हैं, ताकि गरीब वर्ग के लोग अपनी पसंद के कपड़ों को ले जा सके.
घर-घर जाकर कपड़ा जमा करते हैं युवा
नेकी की दीवार वर्दी मेरा जुनून युवा संगठन के युवाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है. पुराने कपड़ा जमा करने में गुमला के कई समाजसेवी भी मदद करते हैं. वर्दी मेरा जुनून युवा संगठन के जिला सह संयोजक दीपक साहू ने बताया कि गुमला पिछड़ा जिला है. आज भी बहुत से ऐसे गरीब हैं, जो ठंडा में गर्म कपड़ा नहीं खरीद पाते हैं. इसलिए वर्दी मेरा जुनून संगठन द्वारा गुमला में चार साल पहले नेकी की दीवार की शुरुआत की गयी. जिसके माध्यम से गरीबों के बीच नि:शुल्क पुराने कपड़े बांटे जाते हैं. ये कपड़ा वर्दी मेरा जुनून के लोग घर-घर जाकर जमा करते हैं. इसके बाद नेकी की दीवार में टांग देते हैं, ताकि कोई भी जरूरतमंद दीवार में टंगे कपड़ा का उपयोग कर सके.
स्टेडियम के समीप है नेकी की दीवार
गुमला शहर के जशपुर रोड स्थित अलबर्ट एक्का स्टेडियम गुमला के समीप नेकी की दीवार है. जहां हर दिन सैकड़ों जोड़े कपड़े टांगे रहते हैं. दीपक साहू ने कहा कि बढ़ती ठंड को देखते हुए जिले के गरीब, लाचार एवं वृद्ध यात्रियों एवं रिक्शा चालकों को ठंड से बचाने के लिए यह कार्य किया जा रहा है, ताकि जिले के कोई भी गरीब महिला एवं पुरुष के साथ बच्चों को ठंड से मृत्यु ना हो.
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ठंड से पहले से ही जमा होता है कपड़ा
भंडरा के ट्रेनर राजा घोषाल, गुरुकुल के निदेशक रविंद्र कुमार सिन्हा, प्रमोद गोप, अजीत कुमार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष ठंड शुरू होने से पूर्व ही गरीबों के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार अत्यधिक मात्रा में पुराने कपड़ों की व्यवस्था कर उन्हें लाकर नेकी की दीवार के पास टांग दिया जाता है. ताकि गरीब एवं लाचार व्यक्ति किसी दूसरे के पास हाथ ना फैलाकर सीधे वहां से उठाकर उपयोग कर सके.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.