बिना अनुमति रायडीह थाना प्रभारी नीतीश कुमार को छत्तीसगढ़ में घुसना पड़ा महंगा, हटाये गये थानेदार
जहां पशु तस्करों को बचाने के लिए ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. जिसमें थानेदार, एसआई, दो पुलिस जवान व चालक बच गये थे. हमले में पुलिस की गाड़ी को ग्रामीणों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था.
गुमला : वरीय अधिकारी को बिना सूचना दिये व अनुमति लिए रायडीह थाना प्रभारी नीतीश कुमार को छत्तीसगढ़ राज्य में घुसना महंगा पड़ा. उन्हें रायडीह थाना प्रभारी के पद से हटाते हुए लाइन हाजिर कर दिया गया है. रायडीह के थानेदार नीतीश कुमार पशु तस्करों को पकड़ने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के लोदाम थाना स्थित साई टांगरटोली गांव में घुस गये थे.
जहां पशु तस्करों को बचाने के लिए ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. जिसमें थानेदार, एसआई, दो पुलिस जवान व चालक बच गये थे. हमले में पुलिस की गाड़ी को ग्रामीणों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था. इस मामले को गुमला के पुलिस अधीक्षक हृदीप पी जनार्दनन ने गंभीरता से लेते हुए चैनपुर अनुमंडल के एसडीपीओ सिरिल मरांडी को जांच का आदेश दिया था. एसडीपीओ ने मामले की जांच की.
इसके बाद रायडीह थाना के थानेदार नीतीश कुमार को हटा दिया गया. एसडीपीओ श्री मरांडी ने बताया कि नियम के अनुसार जब एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य में घुसना होता है, तो वरीय अधिकारी से अनुमति लेनी होती है. साथ ही किस कारण दूसरे राज्य में घुस रहे हैं. इसकी भी जानकारी देनी होती है.
परंतु 25 जुलाई की रात को रायडीह थाना प्रभारी नीतीश कुमार पुलिस टीम को लेकर पशु तस्करों को पकड़ने के लिए पीछा करते हुए लोदाम थाना क्षेत्र के साई टांगरटोली घुस गये थे. जिसकी कोई सूचना रायडीह थानेदार द्वारा वरीय अधिकारी को नहीं दी गयी थी. न ही अनुमति ली गयी थी. जबकि साई टांगरटोली में घुसने के बाद गांव के लोगों ने रायडीह पुलिस की गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
एसडीपीओ ने बताया कि हालांकि लोदाम थाना क्षेत्र में घुसने से पहले रायडीह थानेदार ने लोदाम के थाना प्रभारी से मदद मांगी थी. यहां बता दें कि रायडीह थाना प्रभारी के कारण दूसरे जवानों की जान पर भी संकट में आ गया था.