राम मंदिर निर्माण की लड़ाई में गुमला के आदिम जनजाति भी थे शामिल

आदिम जनजाति संझिया कोरवा ने बताया कि हमलोग जारी प्रखंड के आदिम जनजाति छह दिसंबर 1992 को अयोध्आ जाने के लिए ट्रेन से निकले और गोरखपुर में ट्रेन से उतरे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 19, 2024 6:31 AM

जयकरण महतो, जारी

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर चले लंबे आंदोलन व लड़ाई में गुमला जिले के आदिम जनजाति समुदाय के लोग भी शामिल हुए थे. जंगल व पहाड़ों में रहने वाले कोरवा जनजाति के लोग 1992 में अयोध्या गये थे, जहां वे राम मंदिर निर्माण के संघर्ष में भाग लिया था. कोरवा जनजाति के लोगों की माने, तो जारी प्रखंड के आदिम जनजाति ने राम मंदिर के लिए कई यातनाएं सही थी. संझिया कोरवा, रंगू कोरवा, बलिराम कोरवा, लेटन कोरवा, सुखू कोरवा, सघनू कोरवा, लाल कोरवा, रीझू कोरवा, लुंदरा कोरवा, कोंगेट कोरवा, फातड़ा कोरवा, बंधन कोरवा छह दिसंबर 1992 को अयोध्आ के राम मंदिर में अपना योगदान दिये हैं और काफी यातनाएं भी सही.

आदिम जनजाति संझिया कोरवा ने बताया कि हमलोग जारी प्रखंड के आदिम जनजाति छह दिसंबर 1992 को अयोध्आ जाने के लिए ट्रेन से निकले और गोरखपुर में ट्रेन से उतरे. इसके बाद पुलिस उन लोगों को बस में बैठा कर आजमगढ़ ले गयी. एक स्कूल में जेल बना कर रखा गया था. जेल में प्रशासन द्वारा खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं दी गयी थी. हमलोग दो तीन दिन भूखे प्यासे रहे. अंततः हमलोगों को अगल-बगल के गांव के लोगों ने खाना पीना दिया. इसके बाद एक सप्ताह के बाद हमलोगों को छोड़ा गया.

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संझिया कोरवा ने बताया कि वहां पर हम आदिम जनजाति के तीर धनुष को भी प्रशासन ने ले लिया और कहा कि आपलोगों का तीर धनुष को वापस कर दिया जायेगा. लेकिन अभी तक प्रशासन हमलोगों का तीर धनुष वापस नहीं किया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण हो गया और राम मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा भी होने वाला है. इससे हमलोग काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. कहा कि आज हम लोगों को जितना मान-सम्मान मिलना चाहिए. उतना मान-सम्मान नहीं मिल रहा है. इसलिए हमलोग काफी दुखी हैं. सरकार व प्रशासन द्वारा हमलोगों को मान-सम्मान नहीं दिया जा रहा है.

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