Ram Navami 2021 : गुमला के आंजन धाम में जन्मे थे महाबली हनुमान, जानिए उनके जन्मस्थान से जुड़े कुछ रोचक किस्से के बारे में

गुमला से 20 किमी दूर आंजन गांव है, जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है. आंजन एक अति प्राचीन धार्मिक स्थल है. यहीं पहाड़ की चोटी स्थित गुफा में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. जहां आज अंजनी माता की प्रस्तर मूर्ति विद्यमान है. अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थीं. उसका प्रवेश द्वार एक विशाल चट्टान से बंद था. जिसे एक साल पहले खुदाई कर खोला गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 21, 2021 12:34 PM

Jharkhand News, Gumla News, Anjan Dham History गुमला : श्रीराम भक्त हनुमान का जन्म झारखंड राज्य के सबसे उग्रवाद प्रभावित गुमला जिले से 20 किमी दूर आंजनधाम में हुआ था. भगवान हनुमान की जन्म स्थली के अलावा गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में बालि व सुग्रीव का भी राज्य था. यहां तक की शबरी आश्रम भी यहीं है. जहां माता शबरी ने भगवान राम व लक्ष्मण को जूठे बेर खिलाये थे. पंपापुर सरोवर भी यहीं है. जहां भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ रुक कर स्नान किये थे. आज हम भगवान हनुमान के जन्म व उससे जुड़े इतिहास की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं.

आंजन गुफा में जन्मे थे हनुमान :

गुमला से 20 किमी दूर आंजन गांव है, जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है. आंजन एक अति प्राचीन धार्मिक स्थल है. यहीं पहाड़ की चोटी स्थित गुफा में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. जहां आज अंजनी माता की प्रस्तर मूर्ति विद्यमान है. अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थीं. उसका प्रवेश द्वार एक विशाल चट्टान से बंद था. जिसे एक साल पहले खुदाई कर खोला गया है.

कहा जाता है कि गुफा की लंबाई 1500 फीट से अधिक है. इसी गुफा से माता अंजनी खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान कर लौट आती थीं. खटवा नदी में एक अंधेरी सुरंग है, जो आंजन गुफा तक जाती है. किंतु किसी का साहस नहीं होता है, कि इस सुरंग से आगे बढ़ा जाये. क्योंकि गुफा के रास्ते खूंखार जानवर व विषैले जीव जंतु घर बनाये हुए हैं. एक जनश्रुति के अनुसार एक बार कुछ लोगों ने माता अंजनी को प्रसन्न करने के उद्देश्य से अंजनी की गुफा के समक्ष बकरे की बलि दे दी. जिससे माता अप्रसन्न होकर गुफा के द्वार को हमेशा के लिए चट्टान से बंद कर ली थी. लेकिन अब गुफा खुलने से श्रद्धालुओं के लिए यह मुख्य दर्शनीय स्थल बन गया है.

आंजन में है प्राचीन सप्त जनाश्रम :

जनश्रुति के अनुसार आंजन पहाड़ पर रामायण युगीन ऋषिमुनियों ने जन कोलाहल से दूर शांति की खोज में आये थे. यहां ऋषिमुनियों ने सप्त जनाश्रम स्थापित किया था. यहां सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध थीं. इसलिए जनाश्रम स्थापित किया गया. यहां सात जनजातियां निवास करती थीं. इनमें शबर, वानर, निषाद्, गृद्ध, नाग, किन्नर व राक्षस थे. आश्रम के प्रभारी को कुलपति कहा जाता था. कुलपतियों में अगस्त्य, अगस्त्यभ्राता, सुतीक्ष्ण, मांडकणि, अत्रि, शरभंग व मतंग थे. छोटानागपुर में दो स्थानों पर आश्रम है. इनमें आंजन व टांगीनाथ धाम है.

360 शिवलिंग व उतने ही तालाब है :

आंजन में शिव की पूजा की परंपरा प्राचीन है. अंजनी माता प्रत्येक दिन एक तालाब में स्नान कर शिवलिंग की पूजा करती थी. यहां 360 शिवलिंग व उतने ही तालाब होने की संभावना है. अंजनी माता गुफा से निकल कर प्रत्येक दिन एक शिवलिंग की पूजा करतीं थी. अभी भी उस जमाने के 100 से अधिक शिवलिंग व दर्जनों तालाब साक्षात उपलब्ध है.

नकटी देवी में दी जाती है बकरे की बलि :

आंजन में नकटी देवी नामक देवी स्थान है. यह चक्रधारी मंदिर की तरह अति प्राचीन है. यहां विशेष अवसरों पर सफेद व काले बकरे की बलि दी जाती है. अंजनी माता के मंदिर के नीचे सर्प गुफा है, जो काफी प्राचीन है. अंजनी माता के दर्शन के बाद लोग सर्प गुफा का दर्शन करते हैं. गुफा में मिट्टी का एक टीला है. वहीं सांप को देखा जाता है. लोगों का मानना है कि यह नागदेव हैं.

माता अंजनी का कोषागार भी है :

आंजन गुफा से सटा एक पहाड़ है. जिसे धमधमिया पहाड़ कहा जाता है. इस पहाड़ का आकार बैल की तरह है. इसमें चलने से एक स्थान पर धम-धम की आवाज होती है. कहा जाता है कि माता अंजनी का यह कोषागार था. जहां बहुमूल्य वस्तुएं माता रखती थीं.

पालकोट में है बालि राजा का राज्य किश्किंधा :

रामायण काल में किष्किंधा वानर राजा बालि का राज्य था. यह आज भी पंपापुर (अब पालकोट प्रखंड) में विद्यमान है. किष्किंधा ऋष्यमुख पर्वत है, जो पालकोट प्रखंड के उमड़ा गांव के समीप है. बालि ने अपने भाई सुग्रीव को किष्किंधा से मार कर भगा दिया था. इसके बाद बालि यहां हनुमान व अन्य वानरों के साथ रहने लगा था.

पंपापुर स्थित गुफा में सुग्रीव छिपे थे :

किष्किंधा (उमड़ा गांव) से कुछ दूरी पर एक गुफा है. जब बालि ने सुग्रीव को भगा दिया, तो सुग्रीव उसी गुफा में आकर छिप गये. आज भी यह गुफा साक्षात है और इसे सुग्रीव गुफा कहा जाता है. सुग्रीव ने गुफा के अंदर अपने आवश्यक सभी वस्तुएं उपलब्ध करायी थी. गुफा के अंदर उस जमाने का बनाया गया जलकुंड भी है. वहां गुफा से दूसरे छोर पर एक सुरंग है.

Posted by : Sameer Oraon

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