गुमला में बैल की मौत के विरोध में रांची-छत्तीसगढ़ मार्ग घंटों जाम, मुआवजे के आश्वासन के बाद जाम हटा
गुमला के खोरा गांव में एक बैल के 11 हजार बोल्ट बिजली तार के संपर्क में आने से मौत पर ग्रामीण आक्रोशित हो गये. बिजली विभाग की लापरवाही के विरोध में रांची- छत्तीसगढ़ मार्ग को तीन घंटे तक जाम किया. इस कारण वाहनों की लंबी कतारें लग गयी. वहीं, बिजली विभाग के मुआवजे के आश्वासन के बाद जाम हटा.
Jharkhand News: गुमला में एक बैल की मौत के बाद ग्रामीणों ने तीन घंटे तक रांची- छत्तीसगढ़ मार्ग को जाम रखा. 30 हजार रुपये मुआवजा देने के आश्वासन के बाद जमा हटाया गया. गुमला शहर से सात किमी दूर स्थित खोरा पंचायत में तीन दिन से 11 हजार विद्युत तार टूटने से बिजली नहीं रहने एवं 11 हजार वोल्ट के बिजली तार के संपर्क में आने से एक बैल की मौत होने पर ग्रामीण गुरुवार को आक्रोशित हो गये. गुरुवार की सुबह नौ बजे ग्रामीणों ने नेशनल हाइवे-43 सड़क जाम कर दिया. जिससे रांची- छत्तीसगढ़ राज्य का मार्ग अवरूद्ध हो गया.
महिलाएं भी सड़क पर उतरी
खोरा गांव की महिला मंडल की महिलाएं हाथों में लाठी और डंडा से लैस होकर सड़क जाम किया. सड़क की दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गयी. सड़क जाम की सूचना मिलने पर एसआई गुलाम मुस्तफा दल-बल के साथ पहुंचे. उन्होंने महिला मंडल की दीदीयों को काफी समझाने का प्रयास किया. लेकिन नहीं माने. बैल की मौत पर मुआवजा की मांग को लेकर सड़क जाम पर अड़े रहे. वहीं, बिजली विभाग के प्रति भी काफी आक्रोशित दिखे.
बिजली विभाग की लापरवाही से नाराज ग्रामीण
महिलाओं ने बताया कि 11 हजार का बिजली प्रवाहित तार तीन दिन से टूट कर गिरा हुआ है. विभाग के जेई को कई बार फोन किया गया, लेकिन उसने फोन रिसिव करना मुनासिब नहीं समझा. जिसके कारण गुरुवार को एक बैल की मौत हो गयी. ग्रामीणों ने सवाल किया कि अगर उनके द्वारा ऐसी लापरवाही बरती जायेगी, तो ग्रामीणों की भी मौत हो सकती है.
30 हजार रुपये मुआवजा देने का मिला आश्वासन
ग्रामीणों की मांग पर अड़े होने के बाद बिजली विभाग के जेई अज्जू कच्छप सड़क जाम स्थल पहुंचे. उन्होंने अपनी टीम को खोरा पंचायत में जहां-जहां 11 हजार तार टूट गया है. उसकी मरम्मत का निर्देश दिया. साथ ही मवेशी पालक संतोष कुमार साहू को 30 हजार रुपये मुआवजा दिलवाने का लिखित आवेदन सौंपकर सड़क जाम समाप्त कराया. मौके पर रेखा कुमारी, मीला देवी, मंजू देवी, समन देवी, पार्वती देवी, मंजू देवी, प्रभावती देवी, शीला देवी, प्रमिला देवी, सुकुन देवी, गुड़िया देवी, ललिता देवी, सीता देवी, अनिीता देवी, ललिता देवी, सुनीता देवी, कपिला देवी, पुष्पा देवी, बसंती देवी, रंथी देवी सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महिलायें मौजूद थीं.
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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.