गुमला, दुर्जय पासवान : एक जून को आंजन जंगल में पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में मारे गये भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर राजेश उरांव के शव को गांव ले जाने से परिजनों ने इनकार कर दिया. परिजनों का कहना था कि राजेश ने कई लोगों की जान ली है. उसके कारण गांव की बदनामी हुई है. इसलिए नक्सली के शव को गांव नहीं ले जा सकते. अंत में प्रशासन की पहल के बाद नक्सली के शव को करमटोली स्थित डैम के किनारे अंतिम संस्कार किया गया. हालांकि, प्रशासन के समझाने के बाद गांव से मृतक नक्सली का भाई एवं कुछ युवक गुमला पहुंचे थे. उनकी उपस्थिति में नक्सली के शव का अंतिम संस्कार हुआ.
शव ले जाने से इनकार
बता दें कि मृतक नक्सली के भाई भैयाराम उरांव एवं भाभी बसंती देवी ने देर रात पोस्टमार्टम के बाद शव को ले जाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद शुक्रवार की सुबह 11 बजे पुलिस के समझाने के बाद मृतक के भाई भैयाराम उरांव एवं जीजा मदन उरांव द्वारा उसके शव को पोस्टमार्टम हाउस से ले जाकर करमटोली स्थित डैम के पास अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, जीजा ने बताया कि एक ही दिन में उसकी सारी अंतिम क्रियाकर्म को पूरा कर लिया गया है.
अविवाहित था नक्सली राजेश उरांव
भाई ने बताया कि राजेश वर्ष 2003- 04 में घर से निकला था. उसके बाद घर नहीं आता था. 2005-06 में घाघरा में गिरफ्तार हुआ था. जिसके एक वर्ष बाद वह जेल से छूटा था. कुछ दिन घर में था. उसके बाद से फिर माओवादियों के संपर्क में आकर वह नक्सली बन गया. वह शादी नहीं किया था.
मजिस्ट्रेट के रवैये से डॉक्टर हुए आक्रोशित, नक्सली के शव का पोस्टमार्टम से किया था इनकार
गुरुवार की रात को पुलिस ने नक्सली राजेश उरांव के शव को आंजन जंगल से उठाकर पोस्टमार्टम हाउस लाया. शव का पोस्टमार्टम मजिस्ट्रेट की निगरानी में करना था. लेकिन, पोस्टमार्टम के वक्त मजिस्ट्रेट रूम के अंदर नहीं घुसे. जिससे पोस्टमार्टम करने वाली तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम आक्रोशित हो गयी और नक्सली के शव को पोस्टमार्टम करने से इनकार कर दिया. डॉक्टरों ने मजिस्ट्रेट से कहा कि आप शव को रांची रिम्स ले जाकर पोस्टमार्टम करा लें. इससे नक्सली के शव के पोस्टमार्टम का मामला विवादित हो गया. अंत में गुमला के एक पुलिस अधिकारी के समझाने के बाद डॉक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया. डॉक्टरों ने कहा कि अगर इस प्रकार का रवैया रहा, तो इस प्रकार के बड़े मामले में शवों का पोस्टमार्टम गुमला में नहीं करेंगे. बता दें कि नियमत: नक्सली राजेश उरांव के शव का पोस्टमार्टम तीन चिकित्सीय दल को दंडाधिकारी एवं वीडियोग्राफी की निगरानी में करना था. लेकिन, मजिस्ट्रेट पोस्टमार्टम के दौरान निगरानी नहीं किये. जिस कारण शव को डॉक्टरों ने घंटों तक पोस्टमार्टम करने से रोक दिया था. पोस्टमार्टम डॉ प्रेमचंद्र भगत, डॉ सुचान मुंडा एवं डॉ सुनील किस्कू ने किया. पोस्टमार्टम से नक्सली के शरीर से चार गोलियां निकली है.
बाइक से घूमता था, लड़कियां थी परेशान
मृतक नक्सली राजेश उरांव अक्सर गांवों में बाइक से घूमता था. वह अविवाहित था. लेकिन, अक्सर लड़कियों को परेशान करता था. राजेश नक्सली था. इस कारण कोई उसके खिलाफ थाने में शिकायत करने से हिचकते थे.