Jharkhand News: सिमडेगा जिला के संप्रेक्षण गृह (Remand Home) को प्लेस ऑफ सेफ्टी (Place of Safety) बना दिया गया है. अब यहां झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों के बालबंदी, जिनकी उम्र 18 से ऊपर हो गयी और अंडर ट्रायल के बच्चे हैं. उन्हें रखा जायेगा. साथ ही उन्हें हर प्रकार की सुविधा देते हुए मुख्यधारा से जोड़ा जायेगा. वहीं, सिमडेगा जिला के रिमांड होम में रहने वाले सभी बालबंदियों को (जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है) गुमला जिला के रिमांड होम में शिफ्ट किया जायेगा.
सिमडेगा के रिमांड होम में रहेंगे 18 प्लस बालबंदी
बाल समाज कल्याण विभाग, गुमला से मिली जानकारी के अनुसार सिमडेगा जिला के सभी बालबंदियों को गुमला के रिमांड होम में लाने की पूरी तैयारी कर ली गयी है. अभी सिमडेगा के रिमांड होम में 30 बालबंदी है. जिन्हें गुमला के रिमांड होम में लाया जायेगा. जबकि राज्य के विभिन्न जिलों के रिमांड होम, जहां रहते हुए कई बालबंदियों की उम्र 18 वर्ष से ऊपर हो गयी है. उन्हें सिमडेगा के रिमांड होम में शिफ्ट किया जायेगा.
तीन जिला के बालबंदी रहेंगे
गुमला शहर से कुछ दूरी पर स्थित सिलम घाटी के रिमांड होम (संप्रेक्षण गृह) में अब तीन जिला के बालबंदियों को रखा जायेगा. इसमें गुमला, लोहरदगा व सिमडेगा जिला के बालबंदी हैं. लोहरदगा जिला में रिमांड होम नहीं है. इस कारण पहले से लोहरदगा जिला के सभी बालबंदियों को गुमला में रखा जा रहा है. परंतु, अब सिमडेगा जिला के बालबंदी भी गुमला के रिमांड होम में रहेंगे. गुमला के रिमांड होम में पहले से 85 बालबंदी है. सिमडेगा के और 30 बालबंदी रहेंगे तो संख्या बढ़कर 115 हो जायेगी.
प्लेस ऑफ सेफ्टी के फायदे
सिमडेगा रिमांड होम को अब प्लेस ऑफ सेफ्टी में बदल दिया गया है. यहां 18 प्लस के बालबंदी रहेंगे. ये बालबंदी पहले से विभिन्न जिलों के रिमांड होम में अलग-अलग आपराधिक मामलों में रह रहे हैं. लेकिन, रिमांड होम में रहते हुए इन बालबंदियों की उम्र 18 प्लस हो गयी है और ये अंडर ट्रायल के बच्चे हैं. इसलिए सिमडेगा के प्लेस ऑफ सेफ्टी में 18 प्लस के बालबंदियों को रखते हुए उनमें बदलाव लाया जायेगा.
कम उम्र के बालबंदी पढ़ेंगे
नियम के अनुसार, रिमांड होम में 18 वर्ष से कम उम्र के बालबंदियों को ही रखना है. लेकिन, बड़े आपराधिक मामलों के कारण कई बालबंदियों की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो गयी है. ऐसे में कम उम्र व अधिक उम्र के बालबंदियों को एक साथ रखने में कम उम्र के बालबंदियों के व्यवहार में सुधार नहीं हो पाता. इसलिए सिमडेगा को प्लेस ऑफ सेफ्टी बनाकर वहां 18 प्लस के बंदियों को रखने की व्यवस्था की गयी है.
एक बालबंदी में खर्च होंगे 3000 रुपये
पहले बालबंदियों के खाने-पीने में 2160 रुपये प्रति बालबंदी के रूप में प्रतिमाह भुगतान होता था. इससे बालबंदियों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता था. बड़ी मुश्किल से रिमांड होम का संचालन होता था. लेकिन, समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब प्रति बालबंदी में प्रतिमाह 3000 रुपये खर्च करने की योजना है. खाने-पीने की राशि में बढ़ोतरी से बालबंदियों को अब अच्छा खाना मिल जायेगा.
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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.