Jharkhand News: असुर जनजाति के युवाओं का संकल्प, समाज से नशापान को करेंगे खत्म, कृषि और स्वरोजगार पर होगा फोकस

गुमला और लातेहार के असुर जनजाति के शिक्षित युवा अब अपने समाज को सुरक्षित करने के लिए आगे आ रहे हैं. आदिम जनजातियों और गांव के विकास के लिए रणनीति बनाते हुए विषयवार काम किया जा रहा है. वहीं, कृषि एवं स्वरोजगार पर जोर दिया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2023 2:12 PM
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गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला और लातेहार जिलों के जंगलों एवं पहाड़ों में रहने वाले असुर जनजाति के पढ़े लिखे युवा अब अपने समाज को सुरक्षित करने के लिए आगे आ रहे हैं. युवाओं ने संकल्प लिया है कि समाज से नशापान एवं कुरीतियों को जड़ से खत्म करेंगे. साथ ही कृषि एवं स्वरोजगार पर फोकस रहेगा. शिक्षा को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया. असुर जननजाति जो विलुप्त प्राय: जनजाति है. इनकी संख्या दिनों-दिन घटी है. इसका मुख्य कारण दूसरे धर्म को अपनाना, मानव तस्करी एवं पलायन है, लेकिन अब समाज के जो पढ़े लिखे युवा हैं. वे अपने समाज के महत्व को समझ गये हैं. इसलिए वे अपने समाज को बचाना चाहते हैं. इसके लिए गुमला-लातेहार के आदिम जनजाति के युवाओं ने पहल शुरू कर दी है. युवा वर्ग गरीब मुक्त आजीविका, उन्नत गांव, स्वस्थ गांव, स्वच्छ एवं हरित गांव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा वाला गांवा, सामाजिक रूप से न्याय संगत एवं सुरक्षित गांव, अच्छी बुनियादी सुविधाओं वाला गांव, महिला हितैषी गांव, बाल हितैषी गांव, नशामुक्त गांव बनाने का संकल्प लिया है. वहीं मानव तस्करी की शिकार बच्चियों एवं युवतियों को वापस लाने आदि को लेकर रणनीति बनाकर काम करने का निर्णय लिया है.

युवा संघ जागृति अभियान ने की शुरूआत

अभियान की शुरूआत में सबसे पहले आदिम जनजातियों के गांवों में नशाबंदी अभियान चलाने और मानव तस्करी के शिकार गांव की बच्चियों व युवतियों को प्रदेशों से वापस लाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए आदिम जनजाति (विलुप्त प्राय जनजाति) युवा संघ जागृति अभियान की ओर से रणनीति बनाकर काम किया जा रहा है. संघ में अध्यक्ष विमलचंद्र असुर, करिश्मा कुमारी, शांति कुमारी, जगेश्वर असुर, एभेन आइंद असुर, राजनाथ कोरवा, रोज मेरी मिंज, नीलम उषा मिंज, नमिता असुर, मीना कुमारी, प्रियंका असुर, स्वाति असुर, मेरी स्टेला असुर, सोमारी असुर सहित गुमला-लातेहार के अन्य युवक-युवतियां हैं. संघ का मानना है कि गांवों का विकास तभी संभव होगा. जब क्षेत्र में नशापान पूरी तरह से बंद हो जाये. लोग नशापान से दूर रहेंगे तो गांव-घर के बारे में सोचेंगे और जब लोग गांव-घर के बारे में सोचने लगेंगे तो गांव का स्वत: ही विकास होने लगेगा. इस विकास की कड़ी में आदिम जनजाति के एक-एक सदस्य को जोड़ा जायेगा.

लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं : विमल

आदिम जनजाति (विलुप्त प्राय जनजाति) युवा संघ जागृति अभियान के अध्यक्ष विमल चंद्र असुर ने बताया कि विलुप्त प्राय जनजातियों के विकास के लिए लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं. ताकि हमारे लिए भी एक बेहतर आजीविका का साधन बनें और गरीबी से ऊपर उठ सके. हमारा गांव भी एक स्वस्थ ग्राम हो. हमारे गांव में भी पर्याप्त पेयजल और बिजली सहित अन्य सामाजिक बुनियादी ढांचा सुदृढ़ हो.

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स्वच्छ एवं हरित गांव बनाने का संकल्प है : प्रियंका

प्रियंका असुर ने बताया कि हमारे सामूहिक प्रयास से हम आत्मनिर्भर बनकर अपने गांव को स्वच्छ और हरित गांव बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं. हालांकि हरित गांव बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सहयोग किया जा रहा है. परंतु हमें भी आगे बढ़कर काम करना होगा. ताकि हमारा गांव भी आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा वाला गांव बन सके. इसके लिए गांव के लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. खेतीबारी में रूचि ले रहे हैं.

असुर जनजाति अब बदलाव चाहती है : स्वाति

स्वाति असुर ने कहा कि हम अपनी कमियों का आकलन कर उसे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि हमारा गांव भी अच्छी बुनियादी सुविधाओं वाला गांव बन सके. उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियां विकास में एक बड़ी बाधक बनती जा रही है. हमारे समाज में एक नहीं, बल्कि अनेकों प्रकार की कुरीतियां हैं. हमारा प्रयास है कि उन कुरीतियों को दूर करे. असुर जनजाति अब समाज में बदलाव चाहती है.

गुरदरी को प्रखंड का दर्जा मिले : राजनाथ

राजनाथ कोरवा ने कहा कि आदिम जनजाति बहुल्य क्षेत्र गुरदरी पंचायत को प्रखंड का दर्जा मिले और आदिम जनजातियों के ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर डोल जतरा विकास मेला, कृषि मेला सह प्रदर्शनी को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार द्वारा मान्यता दी जाये. विलुप्त प्राय जनजातियों के लिए राष्ट्रीय कल्याण कोष का गठन भी जरूरी है. ताकि पूरे राष्ट्र के विलुप्त प्राय जनजातियों को इसका लाभ मिल सके.

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