दुर्जय पासवान, गुमला
गुमला प्रशासन मात्र तीन किमी सड़क नहीं बनवा पा रहा है, जिसका खमियाजा पर्यटकों को भुगतना पड़ रही है. हम बात कर रहे हैं बसिया प्रखंड के बाघमुंडा पर्यटक स्थल की. यह राज्य स्तरीय पर्यटक स्थल है. परंतु, प्रशासनिक उपेक्षा से आज भी बाघमुंडा विकास को तरस रहा है. नेशनल हाइवे से बाघमुंडा की दूरी तीन किमी है, परंतु, पूरी सड़क गड्ढों में तबदील है. कई जगह सड़क पर दो फीट तक गड्ढा है, जिससे चार पहिया गाड़ी का चक्का फंस जाता है. बाघमुंडा पहुंचने से पहले हर एक गाड़ी से 50 रुपये की वसूली होती है. यह वसूली बाघमुंडा की देखभाल के लिए की जाती है, परंतु, यहां तीन किमी की दूरी तय करने में पेट में दर्द शुरू हो जाता है. जबकि इस रूट पर केमताटोली व बंबियारी गांव है, जो घनी आबादी वाला गांव है. गांव में रहने वाले लोगों को भी खराब सड़क से परेशानी हो रही है. सबसे अधिक परेशानी बरसात में होती है. सड़क पर जगह-जगह जलजमाव हो जाता है. सबसे दिलचस्प बात है कि अक्सर प्रशासनिक अधिकारी बाघमुंडा जाते हैं, परंतु, कभी भी सड़क को बनवाने की पहल नहीं की है.
बाघमुंडा आज के दिन में जरूर पर्यटक स्थल का दर्जा पाने की सभी अहर्ताएं पूरी करता है. लेकिन प्रशासनिक व वन विभाग की उपेक्षा के कारण बाघमुंडा जलप्रपात का विकास थम गया है. रांची, खूंटी, सिमडेगा व गुमला जिले के अलावा ओड़िशा राज्य के नजदीक होने के कारण यहां हर साल पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है.
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बाघमुंडा के पहाड़ पर वॉच टाचर बनना था, जहां से सैलानी तीन दिशाओं से बह कर एक स्थान पर मिलने वाली नदी की जलधारा को देख सके. कच्ची सड़क को पक्का करना था. नजदीक से जलप्रपात को देखने के लिए लोहे का रेलिंग बनाना था, परंतु, सभी काम अधूरे पड़े हैं.
बाघमुंडा की खासियत:
बाघमुंडा जलप्रपात कोयल नदी की पत्थरों के विशाल ढेर के बीच है. यहां अलग-अलग धाराओं नदी बहती है और एक जगह आकर मिलती है. पत्थर के विशाल ढेर के बीच एक पत्थर जो कि बाघ के सिर के आकार का है, जिससे टकरा कर पानी नदी में गिरता है. इस कारण इस जलप्रपात का नाम बाघमुंडा पड़ा.
बाघमुंडा झारखंड का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है. परंतु बाघमुंडा जाने वाली सड़क खराब है. प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. सड़क का मुद्दा ग्रामीण विकास विभाग मंत्री तक पहुंचायी जायेगी.
रोशन बरवा (प्रदेश सचिव, कांग्रेस)
प्रशासन को चाहिए कि जहां-जहां पर्यटक स्थल है. सड़क खराब है या अन्य समस्याएं हैं, उसका निराकरण हो. क्योंकि पर्यटक स्थलों से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की जीविका चलती है. इसलिए प्रशासन इस पर ध्यान दें.
दिलीप नीलेश (समाजसेवी, गुमला)
बाघमुंडा जाने की सड़क बहुत खराब है. मैं बाघमुंडा गया था. सड़क खराब होने से बहुत परेशानी हुई. ऊपर से हर गाड़ी से 50 रुपये भी लिया गया. अगर आप पैसा ले रहे हैं, तो क्षेत्र का विकास करें.
प्रशांत उनीकृष्णन (पर्यटक, रांची)
गुमला जिले के जितने भी पर्यटक स्थल हैं. प्रशासन को चाहिए की प्लान बना कर सभी का विकास करें. गुमला में अभी कोई भी अधिकारी ईमानदारी से विकास का काम नहीं कर रहा है, जो दुख की बात है.
मिशिर कुजूर (जिला महामंत्री, भाजपा)
बाघमुंडा जाने वाली सड़क बने व एक वॉच टावर का निर्माण हो. साथ ही बाघमुंडा में पर्यटकों की सुविधा का ख्याल रखते हुए विकास का काम हो. गुमला प्रशासन से अनुरोध है कि प्लान के तहत यहां काम करे.
पंकज कुमार सिंह (समाजसेवी, बसिया)