नियमों की उड़ी धज्जियां, हर पंचायत में मनरेगा के तहत 10 कुआं बनाने की थी योजना लेकिन चल रहा सिर्फ 1 में
फंड है, योजना है और लाभुक है, तो कार्य होगा ही. परंतु यहां तो सरकारी योजना का क्रियान्वयन सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए हो रही है.
फंड है, योजना है और लाभुक है, तो कार्य होगा ही. परंतु यहां तो सरकारी योजना का क्रियान्वयन सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए हो रही है. हम बात कर रहे हैं सदर प्रखंड की कसीरा पंचायत की. कसीरा पंचायत में प्रशासन मेहरबान है. सदर प्रखंड में 25 पंचायत है. इन 25 पंचायतों में मनरेगा से कुआं निर्माण का कार्य संभवत: सिर्फ कसीरा पंचायत में ही चल रहा है.
इसके अतिरिक्त पंचायत में तालाब एवं टीसीबी निर्माण कार्य भी चल रहा है. जिसमें नियमानुसार एक पंचायत को अधिकतम 10 कुआं तक ही देना है. परंतु कसीरा पंचायत में कुआं निर्माण के लिए 65 लाभुकों का कोडिंग की गयी है. संभावना है कि और भी लाभुकों की कोडिंग हुई हो. इस लिहाज से लाभुकों की संख्या बढ़ने की संभावना है.
जिसमें वर्तमान में लगभग 15 कुआं का निर्माण कार्य चल रहा है. हालांकि सभी पंचायतों को बराबर-बराबर योजना देना है. परंतु सदर प्रखंड के 25 पंचायत में से संभवत: अभी सिर्फ कसीरा पंचायत को ही कुआं निर्माण की योजना दी गयी है. जिसमें से 65 लाभुकों का नाम प्रभात खबर प्रतिनिधि गुमला को उपलब्ध कराया गया है. जिसे मनरेगा के ऑनलाईन वेबसाईट पर भी देखा जा सकता है.
यदि मान लिया जाये 65 लाभुकों का कोडिंग नहीं भी हुई है तो वर्तमान में ही कसीरा पंचायत की मुखिया के अनुसार लगभग 15 कुआं का निर्माण कार्य चल रहा है. जो नियम से अलग है. इस संबंध में मनरेगा के परियोजना पदाधिकारी रीतु राज से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि एक पंचायत में अधिकतम 10 कुआं तक ही देना है.
इससे अधिक कुआं का योजना देने का प्रावधान नहीं है. वहीं इस संबंध में सदर बीडीओ सुकेशनी केरकेट्टा से उनके मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया. परंतु बीडीओ से बात नहीं हो पायी. इस संबंध में बीपीओ गुमला से पूछा गया तो बीपीओ द्वारा भी संतोषप्रद जवाब नहीं दिया गया है. बहरहाल, अब सवाल यह उठता है कि क्या कसिरा पंचायत की तरह ही अन्य पंचायतों में भी कुआं निर्माण की इतनी योजना दी जायेगी. यदि हां तो गांव के लोगों को सिंचाई की सुविधा देने एवं पीने के लिए पानी उपलब्ध कराने की दिशा में एक अच्छी पहल है और यदि नहीं तो क्या यह मेहरबानी सिर्फ कसीरा पंचायत के लिए है, जबकि कसीरा पंचायत को न तो आदर्श पंचायत का दर्जा प्राप्त है और न ही किसी विधायक, सांसद अथवा मंत्री ने कसीरा पंचायत को गोद ही लिया है.