Sarhul 2023: गुमला जिले के भरनो प्रखंड स्थित लाखो बगीचा में सरना पड़हा समिति की ओर से सरहुल मिलन समारोह का आयोजन हुआ. मुख्य अतिथि विधायक जिग्गा सुसारन होरो और थानेदार कृष्ण कुमार तिवारी मौजूद थे. कार्यक्रम में प्रखंड के दर्जनों गांवों से खोड़हा दल के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-मांदर के साथ शामिल होकर आदिवासी लोक गीत और नृत्य प्रस्तुत किया. सभी खोड़हा दल को विधायक द्वारा डेग देकर सम्मानित किया.
पड़हा व्यवस्था और ग्राम सभा बहुत जरूरी
इस मौके पर विधायक जिग्गा सुसारन होरो ने कहा कि सरहुल पर्व आदिवासी परंपरा की पहचान है. हमारे पूर्वज कह गये हैं ‘जे नाची सेहे बाची’. संस्कृति और आदिवासी परंपरा को जीवित रखने के लिए अखड़ा और धुमकुड़िया को बचाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. समाज को विकास की ओर ले जाने के लिए पड़हा व्यवस्था एवं ग्राम सभा बहुत जरूरी है.
बच्चों को शिक्षित करना जरूरी
उन्होंने कहा कि विधायक बनने के बाद सरना घेराबंदी एवं धुमकुड़िया बनवाने पर विशेष ध्यान दे रहा हूं. पहान पुजार, ग्राम प्रधान समाज के अगुवा हैं. इन्हीं से समाज चलता है. नशापान समाज के विकास में सबसे बड़े बाधक है. अपने बच्चों को शिक्षित बनाएं, तभी समाज एकजुट होकर सशक्त बनेगा. इस मौके पर अभिषेक लकड़ा, झामुमो अध्यक्ष जॉनसन बाड़ा, पंचू उरांव, बंदे उरांव, बुद्धदेव उरांव, गुडविन किसान, रमेश तिर्की, राजेंद्र उरांव, शनि उरांव, चंद्रदेव उरांव सहित विभिन्न गांवों से हजारों की संख्या में समाज के लोग मौजूद थे.
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पूर्वजों के पदचिह्नों पर चले : चमरा लिंडा
दूसरी ओर, घाघरा सरना प्रार्थना सभा द्वारा सरहुल पूर्व संध्या का आयोजन जय सरना लुरकुड़िया स्कूल, देवाकी में किया गया. मुख्य अतिथि बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा, विशिष्ट अतिथि विधायक प्रतिनिधि संजीव उरांव एवं देवेंद्र तिर्की थे. इस दौरान खोड़हा दलों द्वारा पारंपरिक नृत्य एवं गान प्रस्तुत किया गया. आयोजन समिति द्वारा प्रत्येक खोड़हा दल को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. विधायक चमरा लिंडा ने कहा कि सरहुल पूर्व संध्या का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के दर्शन को बताना है. हम प्रकृति के पूजक हैं. सरहुल के बाद ही हम अपने खेतों में हल चलाते हैं. हमारे पूर्वज अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए पेड़-पौधा लगाते थे. हमें अपने पूर्वजों के पदचिह्नों पर चलने की जरूरत है. तभी देश एवं राज्य सुरक्षित रह पायेगा. इस मौके पर चंद्रदेव भगत, मोहर लाल उरांव, सुनील उरांव, संतोष उरांव, कुशील उरांव, राजमोहन उरांव, मनेश्वर उरांव, हरि उरांव, बालकिशुन उरांव, लालदेव उरांव सहित कई लोग मौजूद थे.