गुमला, दुर्जय पासवान : शिक्षा की मंदिर जर्जर हुई, तो स्कूल को ही बंद कर दिया. मजबूरी में 50 से अधिक बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. अभी ये बच्चे गांव में ही दिन-भर खेलते- कूदते रहते हैं. इनका भविष्य क्या होगा? यह सोचकर माता-पिता चिंता में हैं. यह कहानी गुमला शहर से 10 किमी दूर राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय, सतपाराघट्ठा की है.
तीन किमी दूर स्कूल को किया शिफ्ट
यह वही गांव है जहां के लोग 10 साल पहले तक उग्रवादियों से डर-डर के जीते थे. अब जब ग्रामीण उग्रवादियों के डर से बाहर निकले, तो शिक्षा विभाग ने गांव के स्कूल को ही बंद कर दिया. ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल भवन जर्जर हो गया है. इस कारण सतपाराघट्ठा के स्कूल को बंदकर लट्ठा गांव के स्कूल में सभी बच्चों को शिफ्ट कर दिया. सतपाराघट्ठा से लटठा गांव की दूरी तीन किमी है और दो सुनसान जंगल से होकर गुजरता है. डर से 50 से अधिक बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. हालांकि, अभी भी गांव के 100 बच्चे जिनकी उम्र अधिक है. वे समूह बनाकर लट्ठा गांव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं.
ग्रामीण बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
ग्रामीणों ने कहा कि अगर जल्द सतनाराघट्ठा के स्कूल भवन की मरम्मत नहीं हुई, तो दूसरे बच्चे भी स्कूल जाना बंद कर सकते हैं. शिक्षा से दूर हो रहे बच्चों के भविष्य की चिंता को देखते हुए ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से गांव के स्कूल को चालू करने की मांग की. लेकिन, भवन मरम्मत के लिए पैसा नहीं होने की बात कहकर शिक्षा विभाग गांव के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है.
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महिलाओं ने कहा : हमारे बच्चों को पढ़ने दें
गांव की सिवंती देवी, मानती देवी, जयमनी देवी, विपती देवी, बिरसी देवी, मुनी देवी, चैती देवी और करमी देवी ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रशासन हमारे गांव के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें. हमारे बच्चों को भी पढ़ने दें. जब स्कूल भवन ठीक था, तो मरम्मत का फंड एचएम व विभाग के लोग मिल बांटकर खा गये. अब जब भवन एकदम ही जर्जर हो गया तो उसे बंद कर दिया. शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण भवन जर्जर हुआ और स्कूल बंद कर दिया गया. जबकि अभी भी स्कूल का शौचालय व सोलर जलमीनार ठीक है. सोलर चोरी न हो जाये, इसलिए ग्रामीणों ने उसे खोलकर सुरक्षित रखा है. ताकि स्कूल शुरू हो तो सोलर को लगाकर जलमीनार चालू किया जा सके. वहीं, ग्रामीण सुमन देवी ने कहा कि हमारे गांव के स्कूल को बंद कर दूसरे गांव के स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है. इससे गांव के 50 से अधिक बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. हमारे गांव में स्कूल चालू करने में प्रशासन मदद करें. जबकि रसोइया सीतामुनी देवी का कहना है कि सतपाराघट्ठा का स्कूल बंद होने के बाद मुझे लट्ठा स्कूल का रसोईया बना दिया गया है. मैं हर दिन लट्ठा स्कूल जाकर बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनाती हूं. हमारे गांव की स्कूल चालू हो.
छात्रों का भविष्य बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा : डीसी
इस संबंध में डीसी सुशांत गौरव ने कहा कि छात्रों का भविष्य बर्बाद होने नहीं दिया जायेगा. सतपाराघट्ठा की स्कूल क्यों बंद हुई है. इसकी मैं जांच करा लेता हूं. अगर भवन जर्जर की बात है तो भवन बनाया जायेगा. बच्चों को उन्हीं के गांव में शिक्षा मिलेगी.