पालकोट के ऋष्यमुख पर्वत पहुंचे थे श्रीराम, सुग्रीव से हुई थी भेंट, माता शबरी के जूठे बैर भी खाये थे

ऋष्यमुख पर्वत की चोटी पर माता शबरी की कुटिया थी, जिसे अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. यहां मतंगमुनि भी रहते थे. मतंगमनी का शंख आज भी रखा हुआ है, जो रामायण युग की कहानी बयां करता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 18, 2024 6:38 AM

गुमला : भगवान श्रीराम का जुड़ाव झारखंड के गुमला जिला से भी है. कहा जाता है कि श्रीराम का आगमन गुमला में भी हुआ था. इसके कई प्रमाण हैं. गुमला से 26 किमी दूर पालकोट प्रखंड, जिसका प्राचीन नाम पंपापुर है. यहां ऋष्यमुख पर्वत है. इसी पर्वत पर सुग्रीव अपने भाई बाली से बचने के लिए छिपकर रहते थे, जिसे मलमली गुफा कहते हैं. शबरी आश्रम भी है. जब भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज में निकले थे, इसी दौरान श्रीराम ऋष्यमुख पर्वत पहुंचे थे. यहां श्रीराम की सुग्रीव से मुलाकात हुई थी और बाली को मारकर सुग्रीव का उनका राजकाज वापस कराया था. वहीं ऋष्यमुख पर्वत की चोटी पर माता शबरी रहती थीं. श्रीराम ने माता शबरी से भी यहां मुलाकात की थी और माता शबरी के हाथों से जूठे बैर खाये थे. आज भी ऋष्यमुख पर्वत में सुग्रीव गुफा और शबरी माता का आश्रम है. साथ ही सुग्रीव ने अपने भाई बाली से युद्ध के दौरान जिस पहाड़ पर अपने घुटने टेके थे, वहां आज भी सुग्रीव के घुटनों का पत्थर में बना गड्ढा है. श्रीराम पंपापुर होते हुए सिमडेगा जिला के रामरेखा धाम पहुंचे थे. रामरेखा धाम में श्रीराम के पदचिन्ह आज भी है और यह स्थल विश्वविख्यात है.

आज भी पहाड़ पर है मतंगमुनि का शंख

ऋष्यमुख पर्वत की चोटी पर माता शबरी की कुटिया थी, जिसे अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. यहां मतंगमुनि भी रहते थे. मतंगमनी का शंख आज भी रखा हुआ है, जो रामायण युग की कहानी बयां करता है. इसके अलावा शीतलपुर, मलमलपुर, पवित्र निर्झर, घोड़लत्ता, हनुमान मंडा, गोबरसल्लिी, राकस टंगरा, मुनीडेरा, राकस टुकू, पंपा सरोवर, सुग्रीव टुकू, शबरी गुफा है.

श्रीराम ने निर्झर झरना का पीया था पानी

ऋष्यमुख पर्वत की चोटी से सालों भर पानी गिरता है और जमा रहता है. भगवान श्रीराम जब ऋष्यमुख पर्वत आये थे, तो इसी निर्झर झरना का पानी पीया था. इस झरना के अंदर एक छोटा शिवलिंग भी है. गर्मी में पूरे पालकोट प्रखंड की पानी सूख जाती है. परंतु, निर्झर झरना में पानी नहीं सूखता. प्रखंड मुख्यालय के लोग इसी पानी का सेवन करता है.

रामयुग की कहानी बयां करती है गुफा

मां दशभुजी मंदिर के पुजारी जगरनाथ मिश्रा ने कहा है कि पालकोट में प्राचीन ऋष्यमुख पर्वत है. यहां मलमली गुफा है, जहां राजा बाली के डर से सुग्रीव छिपकर रहते थे. यह गुफा आज भी रामायण युग की कहानी बयां करती है. पहाड़ की चोटी पर शबरी आश्रम है, जहां श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ आये थे. उन्होंने कहा कि पालकोट से होते हुए ही भगवान श्रीराम रामरेखा धाम गये थे.

Also Read: गुमला के DEO व ऑपरेटर एक लाख घूस लेते गिरफ्तार

Next Article

Exit mobile version