गुमला : गुमला के लोगों ने नगर परिषद से सवाल किया है कि साहब, हम भी टैक्स देते हैं. फिर शहर में इतनी समस्या क्यों है. लोगों ने कहा है कि हम सिर्फ कमीशन खाने के लिए थोड़े टैक्स देते हैं. हमारा अधिकार है. हमें सरकार से मिलनेवाली ही सुविधा मिले. परंतु गुमला शहर की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है.
फरियाद करने के बाद सिर्फ आश्वासन मिलता है और जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है. युवा समाजसेवी भोला चौधरी ने कहा कि नगर परिषद में जितने भी सफाई कर्मी हैं. अगर ईमानदारी से इन कर्मियों को कम से कम सप्ताह में तीन दिन शहर की सफाई में लगाया जाये तो पूरा शहर सुंदर होगा. परंतु यहां कई कर्मियों से जबरन सरकारी क्वार्टर, सड़क, आंगन की सफाई करायी जाती है. जिससे शहर की सफाई ठीक ढंग से नहीं हो पाती.
अमित कुमार ने कहा कि गुमला में नाली का निर्माण मुख्य सड़कों में हो रहा है. यह स्वागत योग्य है. परंतु अभी के समय में जरूरी था कि एक प्लानिंग के तहत मुहल्लों में नाली का निर्माण कर उस नाली को शहर की मुख्य सड़कों की नाली से लाकर जोड़ा जाता तो जलजमाव व गंदगी की समस्या नहीं होती. परंतु गुमला नगर परिषद में बिना कोई प्लानिंग के काम हो रहा है.
राज कुमार ने कहा कि शहर के विकास के लिए नगर परिषद में प्लानिंग ऑफिसर है. किस मुहल्ले में क्या समस्या है. यह बताने के लिए वार्ड पार्षद है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के अलावा कार्यपालक पदाधिकारी हैं. इसके बाद भी शहर के विकास के लिए बेहतर प्लानिंग नहीं बन पा रही है. अनुरोध है.
गुमला को मॉडल शहर बनाने की पहल हो. समाजसेवी राजेश सिंह ने कहा कि आज भी शहर की डीएसपी रोड की स्थिति नहीं सुधरी है. बारिश होते ही जलजमाव हो जाता है. मुख्य सड़कों के इलावा शहर में कई मुहल्ले भी हैं. जहां फॉगिंग व सैनिटाइजर जरूरी है. बरसात है. ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव नहीं हो रहा है.
शकुंतला देवी व हेमावती लकड़ा ने कहा कि शहर में जब सप्लाई पानी बंद हो जाता है तो परेशानी होती है. कम से कम पानी बंद करने से पहले सूचना देनी चाहिए. ताकि हमलोग पानी की व्यवस्था कर सके. अभी तो बिजली संकट ने परेशान कर रखा है. गुमला उपायुक्त से अनुरोध है. इन समस्याओं को दूर करने की पहल हो.