झारखंड : साहब, हम संकट में जी रहे हैं मदद कीजिए, गुमला के हरिजन कॉलोनी के लोग लगा रहे गुहार

गुमला के चैनपुर प्रखंड मालम हरिजन कॉलोनी है. 1984 में बसे इस कॉलोनी से अब लोग पलायन करने को मजबूर हैं. मूलभूत सुविधा नहीं मिलने से कॉलोनी के लोग लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इनकी फरियाद नहीं सुनी जा रही है. आलम ये है कि यहां का आवास जर्जर होकर टूटने लगा है.

By Samir Ranjan | August 6, 2023 9:48 PM

गुमला, जगरनाथ : गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड में मालम हरिजन कॉलोनी है. यह कॉलोनी 1984 में बसा था. यहां घांसी जाति के लोग रहते हैं. जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है. गरीबी में जी रहे हैं. जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. तब केंद्र सरकार की पहल पर हरिजन कॉलोनी की स्थापना कर घासी जाति को बसाया गया था. उस समय दो कमरों का पक्का घर भी बनाया गया था. लेकिन, अब यह घर टूटकर गिर रहा है. क्योंकि इन 39 सालों में कभी घर की मरम्मत नहीं हुई. स्थिति यह है कि कई घर टूटकर गिर गये जो कुछ टूटकर गिर रहा है. जिससे लोगों की जान खतरे में है. यहां 14 परिवार निवास करते हैं. एक सप्ताह पहले इसी गांव में वज्रपात की चपेट में आने से दो महिलाओं की मौत हो गयी थी. क्योंकि यह गांव वज्रपात जोन है. हर बरसात में यहां वज्रपात होता है. गांव के लोग कई बार प्रशासन से घर की मरम्मत कराने की मांग किये. परंतु, प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों की माने तो उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे घर की मरम्मत करा सके. इस कारण मरम्मत के अभाव में घर टूटकर गिर रहा है. अब तो छत में छड़ दिखने लगा है. कुछ लोगों ने बारिश से बचने के लिए छत पर प्लास्टिक ढक दिया है. जिससे घर के अंदर पानी का रिसाव न हो.

हरिजन कॉलोनी के लोग लगा रहे गुहार

गांव के चंदर नायक, राजेंद्र नायक, सहोदर नायक व भुरा नायक ने कहा कि साहब, हम संकट में जी रहे हैं. कोई हमारी मदद करे. अगर मदद नहीं मिली तो घर ध्वस्त होने से कई लोगों की जान भी जा सकती है. इन लोगों ने गांव के 14 परिवार के लिए मजबूत घर बनाने की मांग किया है. साथ ही गांव में रोजी-रोजगार व सभी परिवार को सरकारी योजना से जोड़ने की मांग किया है. ग्रामीणों ने कहा है कि गांव में काम नहीं है. खेतीबारी के लिए जमीन नहीं है. जिस कारण गांव के सभी युवक व पुरुष मजदूरी करने के लिए दूसरे राज्य पलायन कर जाते हैं. गरीबी के कारण इन 14 परिवार के बच्चे भी स्कूल नहीं जाते पाते हैं. शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है.

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कुछ लोग झोपड़ी घर बनाये हैं

पक्का घर जर्जर होकर टूटने के कारण कुछ परिवार खाली पड़ी जमीन पर प्लास्टिक व झोपड़ी का घर बनाकर रह रहे हैं. ग्रामीण कहते हैं. गर्मी के दिन में तो किसी प्रकार रह लेते हैं. परंतु, बरसात में सबसे ज्यादा परेशानी होती है. घर के अंदर सांप, बिच्छू व जहरीले जीव जंतु घुसने का डर बना रहा है. वज्रपात का खतरा तो बारिश होते ही मंडराने लगता है. ठंडा के मौसम में भी परेशानी होती है. झोपड़ीनुमा घर में ठंड अधिक लगती है.

तर्री गांव में सड़क कीचड़मय, आवागमन में परेशानी

दूसरी ओर, सदर प्रखंड की फसिया पंचायत स्थित तर्री स्कूल से नंदा सिंह के घर के समीप स्थित आंगनबाड़ी केंद्र तक मिट्टी सड़क कीचड़मय हो गयी है. सड़क में कई गड्ढे बन गये हैं. कीचड़मय सड़क होने से दो पहिया वाहन समेत चार पहिया वाहनों के आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उक्त सड़क में वाहन पार करने वाले लोग मिट्टी की फिसलन से गिर कर घायल हो रहे हैं.

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मुख्यालय को बाईपास तक जोड़ने वाली सड़क का देखिए हाल

मालूम हो कि यह सड़क जिला मुख्यालय को बाईपास तक जोड़ने वाली सड़क है. तर्री के बाद ठूंठाटोली गांव है, जहां कुल घरों की संख्या लगभग 200 व आबादी 1200 से अधिक हैं. तर्री गांव में शबरी आश्रम भी संचालित है, जहां गरीब छात्राएं आश्रम में रह कर शिक्षा के लिए उक्त पथ से आवागमन करती है. गांव के ग्रामीण जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन से उक्त 1200 फीट सड़क को बनवाने के लिए कई बार लिखित व मौखिक आवेदन देकर मांग की है. लेकिन, कोई पहल नहीं हुई. इससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जिला प्रशासन से सड़क निर्माण की मांग

इस संबंध में रामवेनी सिंह ने कहा कि सड़क पर साइकिल समेत चार पहिया वाहन से भी चलना दूभर है. चूंकि, वाहन का चक्का फिसलने से कई लोग गिर कर घायल हो रहे हैं. उन्होंने इस पथ को शीघ्र प्रशासन से बनवाने की मांग की है. सुरेंद्र साहू व जीवन सिंह ने कहा कि कीचड़मय सड़क से बच्चों को स्कूल आवागमन में परेशानी होती है. जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए हैं. शुभम सिंह, हरि कुमार व जोगेंद्र सिंह ने कहा कि अगर प्रशासन व जनप्रतिनिधि हमारी समस्या को दूर नहीं करेंगे, तो तर्री के ग्रामीण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. इस संबंध में समाजसेवी संजय सिंह ने कहा कि ग्रामीणों को उक्त पथ के कीचड़मय होने से परेशानी हो रही है. प्रशासन से मांग करता हूं कि इस पथ पर शीघ्र पीसीसी पथ निर्माण करायें, ताकि जनता की परेशानी को दूर किया जा सके.

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