चप्पल व्यवसाय ने डुमरी प्रखंड की सरिता की बदली तकदीर, जानें किस घटना ने बदल दी उनकी सोच

सरिता ने बताया कि मेरा पति घर के बारे में कुछ नहीं सोचते थे. ऐसे में घर, परिवार और बच्चों के पढ़ाई लिखाई का खर्चा चलाना बड़ा मुश्किल हो गया था. उसी समय महिला समूह का गठन किया जा रहा था. तब मैंने 2017 में स्वयं सहायता महिला समूह से जुड़ी.

By Prabhat Khabar News Desk | June 28, 2021 1:21 PM

गुमला : डुमरी प्रखंड की सरिता देवी (36) अब आर्थिक स्थिति से उबर चुकी है. यह संभव हुआ है चप्पल व्यवसाय से. पति शराबी था. कुछ काम नहीं करता था. ऐसे में 2018 में सरिता ने चप्पल बेचने का व्यवसाय शुरू की. यह धंधा चल पड़ा. अब सरिता सफल महिला उद्यमी बन गयी है.

सरिता ने बताया कि मेरा पति घर के बारे में कुछ नहीं सोचते थे. ऐसे में घर, परिवार और बच्चों के पढ़ाई लिखाई का खर्चा चलाना बड़ा मुश्किल हो गया था. उसी समय महिला समूह का गठन किया जा रहा था. तब मैंने 2017 में स्वयं सहायता महिला समूह से जुड़ी.

समूह से जुड़ कर अपना रोजगार या व्यवसाय कर स्वावलंबी बनाने की जानकारी मिली. उसके लिए समूह से ही पूंजी मिलने की बात करते थे. ऐसे समय में घर परिवार संभलना और बच्चों की पढ़ाई लिखाई कराना बड़ा मुश्किल काम था. इससे पहले मैं एक चप्पल दुकानदार के घर में काम करती थी. अचानक मेरे दिमाग में आया कि क्यों ना मैं महिला समूह से पूंजी लूं और अपना एक चप्पल व्यवसाय शुरू करूं.

इस व्यवसाय में नुकसान होने का डर बहुत कम था. यह सोचकर मैंने व्यवसाय करने के लिए 2018 में महिला समूह से 25 हजार रुपये पूंजी ली. फिर चप्पल व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने बताया कि व्यवसाय शुरू करने के बाद भी मेरे मन में हमेशा एक डर था कि मैं इस व्यवसाय में सफल हो पाऊंगी की नहीं.

जब पहली बार बाजार में दुकान लगायी तो मन में डर था कि जान-पहचान वाले देखेंगे तो क्या कहेंगे. परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी. फिर धीरे धीरे व्यवसाय चल पड़ा और अभी अच्छी खासी आमदनी का जरिया बन गया है.

मेरे चार बच्चे हैं. जिसमें दो बड़े बेटे को छत्तीसगढ़ में पढ़ा रही हूं. दोनों बेटे ग्रेजुएशन कर रहे हैं और दो बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. अब कहती हैं कि यह व्यवसाय शुरू करने के बाद घर परिवार चलाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं है.

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